रंगों के संग करती प्यार की बौछार ये होली
गिराती दरमियाँ ऊँची हुई दीवार ये होली
हुई गुलज़ार धरती राग छेड़े फागुनी कोयल
फिजाँ का साथ में लायी मधुर उपहार ये होली
फलासी फूल कानन में खिले हैं सुर्ख़ सिंदूरी
वनों को कर रही ज्यों देख लो अंगार ये होली
करें गुंजार भौंरे, मस्त हो नदियाँ करें कल-कल
थिरकते हैं क़दम पायल को दे झनकार ये होली
मेरे नटवर मुझे दीदार दो है आरजू मेरी
मेहर कर दो अगर इस बार हो दमदार ये होली
बुराई स्वाह हो जलकर सभी इस होलिका में प्रभु
करें भावों में सबके पावनी विस्तार ये होली
वतन के दुश्मनों को ख़ाक कर दे एक पल में हम
भरे वो जोश जज़्बा गूँजता हुंकार ये होली
विरह की आग में जलती प्रिया की प्रार्थना सुन लो
पवन के साथ लेकर आये अब भर्तार ये होली
बहे ना ‘नीर’ की धारा सजा लब पर तबस्सुम हो
दिलों से अब सभी को ही करे ज़रदार ये होली।
-स्नेहलता नीर