बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने एक सर्कुलर में कहा है कि बीमा कंपनियों को एक जुलाई से पॉलिसी धारक के साथ उसके दावे के निपटान की स्थिति के बारे में जानकारी साझा करनी होगी। उन्हें पालिसीधारकों को उसके बीमा दावे के विभिन्न चरणों की स्थिति के बारे में बताना होगा। दावों के मामले में इरडा ने कहा कि पालिसीधारकों के लिये ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे उन्हें यह पता चल जाए कि दावा आवेदन की स्थिति क्या है। बीमा कंपनियों को एक जुलाई 2019 से यह व्यवस्था लागू करनी होगी।
इरडा ने कहा है कि निष्पक्ष और पारदर्शी दावा निपटान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिये सभी बीमा कंपनियों को दावों के निपटान की स्थिति के बारे में जानकारी देनी होगी। इरडा ने कहा है कि स्वास्थ्य बीमा के मामले में जहां दावा सेवा के लिये थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (टीपीए) को जिम्मेदारी दी गयी है, वहां स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में जहां थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (टीपीए) जुड़ा होता है, ऐसे मामलों की जानकारी देना उसकी जिम्मेदारी नहीं होगी। नियामक ने स्पष्ट किया कि क्लेम के मामलों में भी बीमा कंपनियां ही ग्राहकों को सभी जानकारी और स्टेटस मुहैया कराएंगी। इसमें टीपीए की कोई भूमिका नहीं होगी। साथ ही यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनियों की होगी कि दावाकर्ताओं को दावे की स्थिति के बारे में जानकारी मिले। उन्हें दावा निपटान के विभिन्न चरणों में आवेदन की स्थिति के बारे में जानकारी देनी होगी। बीमा नियामक ने जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और साधारण बीमा करने वाली सभी कंपनियों से कहा है कि वह पालिसी जारी होने तथा बीमा प्रीमियम भुगतान के बारे में पत्र, ई-मेल, एसएमएस या अन्य मंजूरी प्राप्त इलेक्ट्रानिक तरीके से ग्राहकों को सूचना देगी। सर्कुलर में कहा गया है कि स्वास्थ्य बीमा के मामले में जहां स्वास्थ्य सेवाओं के लिये टीपीए की सेवा ली जाती है, बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करेंगी कि आईडी कार्ड जारी होने समेत सभी संबद्ध सूचनाएं या तो थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा भेजी जाए या संबंधित बीमा कंपनी स्वयं यह करे। बीमा कंपनियों को सरल, पढ़ने में आसान तथा समझने योग्य भाषा का उपयोग करना है। जहां भी व्यवहारिक हो, सूचना क्षेत्रीय या स्थानीय भाषाओं में दी जानी चाहिए।