पाँच दिवसीय दीपोत्सव के अंतिम दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व भाई दूज मनाया जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उसके उज्ज्वल भविष्य और लंबी आयु के लिए कामना करती हैं। साथ ही भाई भी अपनी बहन को यथाशक्ति कुछ उपहार देते हैं। इसके अलावा कायस्थ समाज इस दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त का पूजन करता है। वहीं कारोबारी बहीखातों की पूजा भी करते हैं।
दूज दूज के दिन अपनी बहन के घर में भोजन करने की परंपरा है। ऋगवेद में वर्णन मिलता है कि यमुना ने अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से जाना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता और उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है, यानी हर तरह के संकट से भाई को छुटकारा मिलता है और उसका कल्याण होता है, लेकिन अगर आपकी अपनी बहन न हो तो चाचा, बुआ या मौसी की बेटी यानि रिश्ते की बहन के साथ भाई दूज दूज मनाना चाहिए और अगर वो विवाहित है तो उसके घर जाकर भोजन करना चाहिए।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त-
भाई दूज तिथि- 29 अक्टूबर को सुबह 6:13 बजे से 30 अक्टूबर को सुबह 3:48 बजे तक,
भाई दूज का शुभ मुहूर्त- दोपहर 1:11 बजे से दोपहर 3:23 बजे तक।