देश की अर्थव्यस्था में तेजी से उछाल आया है। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई है। देश में कृषि, विनिर्माण और निर्माण जैसे क्षेत्रों में आई तेजी से पहली तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर बढ़कर 8.2 फीसदी पर पहुंच गई। जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में जीडीपी 5.6 प्रतिशत दर्ज की गई थी। फिलहाल वर्तमान में अर्थव्यवस्था में तेजी का रूख बना हुआ है। वहीं नोटबंदी और जीएसटी के बाद अर्थव्यवस्था में आयी सुस्ती खत्म होने लगी है, जिससे अर्थव्यवस्था ने फिर रफ्तार पकड़ ली है।
विनिर्माण एवं कृषि क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन से चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो पिछली 15 तिमाहियों की सर्वाधिक है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के जारी आंकड़ों के अनुसार 2011-2012 के स्थिर मूल्यों पर चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 33.74 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 31.18 लाख करोड़ रुपये था। यह वृद्धि 8.2 प्रतिशत रही। आधारभूत कीमतों के आधार पर तिमाही का सकल मूल्यवर्धन पिछले वित्त वर्ष के 29.29 लाख करोड़ रुपये की तुलना में आठ प्रतिशत बढ़कर 31.63 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पहले 2014-15 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी में सर्वाधिक तेज वृद्धि हासिल की गई। तब जीडीपी की वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी। इस दौरान विनिर्माण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन 13.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 1.8 प्रतिशत गिरा था। इस दौरान कृषि, वानिकी और मत्स्यपालन क्षेत्र पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के तीन प्रतिशत की तुलना में 5.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा।