हिन्दी दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन में आयोजित पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दुनिया के कई देश अपनी भाषा छोड़ चुके हैं और वह देश अपना अस्तित्व भी खो चुके हैं। भाषा ही व्यक्ति को अपने देश, संस्कृति और मूल के साथ जोड़ती है। आज आत्म चिंतन और आत्मावलोकन की जरूरत है। बुद्धि, ज्ञान और मेधा ही संस्कृति की रचना करते हैं इसलिए आवश्यक है कि हमें इस दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। अगर हम भाषा और बोलियां खोते हैं, तो विचार प्रवाह से भी कटाव हो जाता है।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता जब राजभाषा को आकार दे रहे थे तब कई तरह के मत-मतांतर थे लेकिन विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को देखकर, समझकर तथा उस समय की स्थिति का आकलन, अवलोकन और चिंतन कर, संविधान निर्माता एकमत पर पहुंचे और हिंदी को संविधान सभा ने राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में देश के कोने-कोने का प्रतिनिधित्व था और उनका वह निर्णय आज भी एकता और अखंडता को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
अमित शाह ने हिंदी दिवस समारोह के अवसर पर राजभाषा कीर्ति तथा राजभाषा गौरव पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने कहा कि 2024 तक हिंदी एक बड़ा मुकाम हासिल करेगी और हिंदी को बढ़ाने का मतलब कभी यह नहीं है कि दूसरी भाषा की उपेक्षा हो। उनका कहना था कि सभी भाषाओं को साथ रखते हुए हिंदी को सर्व-स्वीकृत भाषा बनाया जाएगा।
अमित शाह ने कहा कि भाषा की समृद्धि का वरदान सबसे ज्यादा भारत को प्राप्त है। देश में लगभग 122 भाषाएं और 19500 से अधिक बोलियां शामिल हैं जिनका समृद्ध इतिहास है। श्री शाह ने कहा कि भारत की भाषा सबसे समृद्ध है और हमें गुलामी के कालखंड के भाव को छोड़ना होगा। बच्चों से अपनी भाषा में बात करनी होगी। उनका कहना था कि भाषा तभी जीवित रहती है जब समाज उसका उपयोग करता है इसलिए हमें नई पीढ़ी को अपनी भाषा के साथ जोड़ कर गौरवान्वित महसूस कराना होगा।