सूचना का अधिकार (आरटीआई) संशोधन विधेयक 2019 को आज राज्यसभा ने भी पारित कर दिया है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि आरटीआई अधिनियम में स्वतंत्रता कम करने को कोई कारण नहीं है। उन्होंने अधिनियम की स्वतंत्रता के संबंध में कोई छेडछाड न करने का आश्वासन दिया। सूचना आयुक्तो के कार्यकाल को सरकार हर दो साल में बदलेगी संबधी विपक्ष के आरोप गलत हैं। ऐसा संशोधन विधेयक में कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार के पास नियमों में संशोधन करने की निरंकुश शक्ति नहीं होगी। सरकार सुझावो का स्वागत करती है और यह संशोधन स्पष्ट उद्देश्य से किए गए हैं। विधेयक को सदन की प्रवर समिति के पास भेजने की संबंध में उन्होंने कहा कि यह सदस्यों का विशेषाधिकार है और इसका निर्णय विधेयक की वरीयता के आधार पर होना चाहिए।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने हमेशा से “अधिकतम प्रशासन-न्यूनतम शासन” के सिद्धांत पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने इस संबंध में सरकार की विभिन्न शुरूआतो जैसे स्वत: प्रमाणीकरण और साक्षात्कार को समाप्ति करने का जिक्र किया। इन शुरूआतो का उद्देश्य सरकार की जिम्मेदारी और नागरिक केंद्रित नीति है। उन्होंने कहा कि किसी भी समय आरटीआई दाखिल करने के लिए सरकार द्वारा एक मोबाइल एप लाया गया तथा गत पांच वर्षो में अधिकतर सूचना जनता के अधिकार क्षेत्र में उपलब्ध कराई गई है। इस संशोधन को लाने के उद्देश्यो पर बोलते हुए डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) एक वैधानिक संस्था है और चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसलिए भारतीय चुनाव आयोग और केंद्रीय तथा राज्य के सूचना आयुक्तो के अधिदेश अलग हैं और इसलिए इनका निर्धारण तदनुसार करने की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि विधेयक को बिना किसी मंशा के तहत लाया गया है। संशोधन से आरटीआई दाखिल करने में सहायता मिलेगी और इससे आरटीआई विधेयक सशक्त होगा।
विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने के विरोध में 117 सदस्यो ने मत दिया जबकि 77 सदस्यो ने इसका समर्थन किया। इस कारण विधेयक को प्रवर समिति के पास नहीं भेजा गया। ज्ञात रहे कि लोकसभा ने सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 22 जुलाई को पारित किया था। इसमें सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में संशोधन कर मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त तथा राज्यो के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के कार्यालय, वेतन, भत्ते और अन्य नियम और शर्ते केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।