मोदी सरकार 2.0 द्वारा तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाया गया मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक मंगलवार को राज्य सभा में भी पास हो गया।
राज्य सभा में विधेयक के पक्ष में 99 जबकि विपक्ष में 84 वोट पड़े, इसके बाद ये विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।
राज्य सभा मे पेश तीन तलाक़ विधेयक पर चर्चा के एनडीए के 16 दलों ने इस विधेयक का बहिष्कार किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। वहीं विपक्ष की ओर से एनसीपी, बसपा, आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने इस बिल का बॉयकट किया। वहीं इससे पहले विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव गिर गया।
तीन तलाक़ देने पर विधेयक में किये गए प्रावधान-
● अब कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा और ये अपराध होगा।
● पीड़िता या रिश्तेदार अब एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।
● किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक अवैध होगा।
● जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
● तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध होगा।
● तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए मजिस्ट्रेट से भरण-पोषण और गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।
● मजिस्ट्रेट तय करेगा कितना गुजारा भत्ता देना है।
● महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी के लिए भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकती है।
राज्य सभा में तीन तलाक़ विधेयक पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसे ऐतिहासिक बताया और इसे मुस्लिम महिलाओं की जीत कहा।
पूरे देश के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। इस ऐतिहासिक मौके पर मैं सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं।
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2019