विश्व बैंक ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर बुधवार को अपनी रेंटिंग जारी की है। जिसमें भारत ने रैंकिंग में 23 अंकों की छलांग लगाई है। विश्व बैंक के अनुसार भारत में बिजनेस करना और आसान हो गया है। भारत रैंकिंग में 100 नंबर से चढ़कर अब 77वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल भारत इस सूची में टॉप 100 में आ गया था। इस साल जीएसटी और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड जैसे सुधारों का फायदा सरकार को मिला है और भारत ने बड़ी छलांग लगाए हुए 77वीं रैंकिंग हासिल की है।
विश्व बैंक हर साल आसान कारोबार वाले देशों की सूची जारी करता है। इसमें कुल 190 देश होते हैं। मोदी सरकार का सपना इस सूची में भारत को शीर्ष 50 में स्थान दिलाना है। पिछले साल 2017 के मुकाबले 2018 में भारत की रैंकिंग में 23 स्थान का सुधार हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के समय भारत की रैंकिंग 142 थी।
वहीं भारत ने पिछले 4 साल में 65 देशों को पीछे छोड़ा है। विश्व बैंक यह रैंकिंग 10 मानदंडों मसलन कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली कनेक्शन हासिल करना, कर्ज हासिल करना, टैक्स भुगतान, सीमापार कारोबार, अनुबंध लागू करना और दिवाला मामले के निपटान के आधार पर तय करता है।
डूइंग बिजनेस आकलन से उन 10 पैमानों पर 190 देशों में व्यवसाय या बिजनेस संबंधी नियम-कायदों और उन पर अमल के वस्तुनिष्ठ लक्ष्यों के बारे में पता चलता है जो किसी भी व्यवसाय के समूचे कारोबारी चक्र पर असर डालते हैं। डीबीआर में देशों की रैंकिंग डिस्टैंस टू फ्रंटियर (डीटीएफ) के आधार पर की जाती है जो एक विशिष्ट स्कोर है और जो किसी भी अर्थव्यवस्था में अपनाये जाने वाले कारोबारी तौर-तरीकों और वैश्विक सर्वोत्तम कारोबारी तौर-तरीकों में अंतर को दर्शाता है। भारत का डीटीएफ स्कोर पिछले वर्ष के 60.76 से बढ़कर इस वर्ष 67.23 हो गया है। भारत 10 संकेतकों में से 6 संकेतकों से जुड़ी अपनी रैंकिंग को बेहतर करने में कामयाब रहा है और इसके साथ ही वह 10 संकेतकों में से 7 संकेतकों पर वैश्विक सर्वोत्तम कारोबारी तौर-तरीकों के और करीब पहुंच गया है। हालांकि, सबसे उल्लेखनीय सुधार निर्माण परमिट और सीमा पार व्यापार से जुड़े संकेतकों के मामले में देखा गया है। निर्माण परमिट की स्वीकृति देने के मामले में भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 की 181वीं से बेहतर होकर वर्ष 2018 में 52वीं हो गई है जो एक ही वर्ष में 129 रैंकिंग के अभूतपूर्व सुधार को दर्शाता है। इसी तरह सीमा पार व्यापार से जुड़े संकेतकों के मामले में भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 की 146वीं से बेहतर होकर वर्ष 2018 में 80वीं हो गई है जो एक ही वर्ष में 66 रैंकिंग के उल्लेखनीय सुधार को दर्शाता है।
इस वर्ष भारत के प्रदर्शन की मुख्य बातें-
विश्व बैंक ने वर्ष के दौरान उल्लेखनीय सुधार करने वाले शीर्ष देशों में भारत को भी शुमार किया है।
उल्लेखनीय सुधार करने वाले शीर्ष देशों में भारत की भी गिनती लगातार दूसरे वर्ष की गई है।
भारत प्रथम ब्रिक्स और दक्षिण एशियाई देश है जिसे सुधार करने वाले शीर्ष देशों में लगातार दूसरे वर्ष शुमार किया गया है।
भारत ने दो वर्षों में अपनी रैंकिंग में 53 पायदानों की ऊंची छलांग लगाई है जो डूइंग बिजनेस आकलन में वर्ष 2011 के बाद किसी भी बड़े देश द्वारा दो वर्षों में किये गये सर्वाधिक बेहतरी को दर्शाता है।
प्रदर्शन में निरंतर सुधार की बदौलत भारत अब दक्षिण एशियाई देशों में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है, जबकि वर्ष 2014 में यह छठे स्थान पर था।
भारत के प्रदर्शन की संकेतक-वार मुख्य बाते-
निर्माण परमिट-
ए. प्रक्रियाओं की संख्या मुंबई में 37 से घटकर 20 और दिल्ली में 24 से घटकर 16 रह गई है।
बी. इसमें लगने वाला समय मुंबई में 128.5 दिनों से घटकर 99 दिन और दिल्ली में 157.5 से घटकर 91 दिन रह गया है।
सी. भवन निर्माण गुणवत्ता नियंत्रण सूचकांक मुंबई में 12 से सुधर कर 14 और दिल्ली में 11 से सुधर कर 14 हो गया है।
डी. निर्माण परमिट प्राप्त करने की लागत 23.2 प्रतिशत से घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई है।
ई. डीटीएफ स्कोर 38.80 से सुधर कर 73.81 हो गया है।