केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। निवारक उपायों के साथ-साथ आयुष मंत्रालय ने कोरोना वायरस के संभावित संक्रमण कोरोना वायरस मामलों में श्वास नली के लक्षणों से बचाव की सलाह दी गई है। साथ ही सरकार ने कहा है कि यह परामर्श केवल जानकारी के लिए है। इसे पंजीकृत आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सकों के परामर्श से अमल में लाया जाए।
आयुष प्रणाली पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियों पर आधारित है। देश की पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उचित जीवनशैली की तरफदारी करती है। प्रतिरक्षा विभिन्न प्रकार के संक्रामक रोगों की रोकथाम में मदद करती है। आयुष मंत्रालय निवारक उपाय के रूप में परामर्श जारी कर रहा है। आयुष मंत्रालय के तहत अनुसंधान परिषदें विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों में शामिल हैं और आम जनता के लिए समय-समय पर जीवनशैली की तरफदारी उपलब्ध कराती हैं।
एक रहस्यमय नया कोराना वायरस तेजी से फैल रहा है। पूरा विश्व इसके कोरोना वायरस के भयभीत है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत अनुसंधान परिषदों ने कहा है कि-
• व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
• साबुन और पानी से अपने हाथों को कम से कम 20 सेकैंड तक धोएं।
• बिना धोए हाथों से अपनी आँखें, नाक और मुँह छूने से बचें।
• जो लोग बीमार हैं उनसे निकट संपर्क से बचें।
• बीमार होने पर घर पर रहें।
• खांसी या छींक के दौरान अपना चेहरा ढंक लें और खांसने या छींकने के बाद अपने हाथों को धो लें।
• अक्सर छुई गए वस्तुओं और सतहों को साफ करें।
• संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर यात्रा करते समय या काम करते समय एक एन95 मास्क का उपयोग करें।
• यदि आपको कोरोना वायरल संक्रमण का संदेह है, तो मास्क पहनें और तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें।
आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार निम्नलिखित निवारक प्रबंधन उपाय सुझाए गए हैं-
• शदांग पानिया (मस्टा, परपट, उशीर, चंदन, उडीच्या और नागर) संसाधित पानी (1 लीटर पानी में 10 ग्राम पाउडर डालकर तब तक उबालें जब तक यह आधा हो जाए) पीएं। इस पानी को एक बोतल में भर लें और प्यास लगने पर पी लें।
• आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार रोगनिरोधी उपाय या इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाइयां। स्वस्थ आहार और जीवनशैली पद्धतियों के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपाय किए जाएं।
• अगस्त्य हरितकी 5 ग्राम, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लें।
• समशामणि वटी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार लें।
• त्रिकटु (पिप्पली, मारीच और शुंठी) पाउडर 5 ग्राम और तुलसी 3 से 5 पत्तियॉं एक लीटर पानी में तब तक उबाले, जब तक पानी आधा लीटर न रह जाएं। इस पानी को एक बोतल में भर लें और आवश्यकतानुसार धीरे-धीरे पीएं।
• प्रतिमर्षा नस्य: अनुतैल/तिल तेल की दो-दो बूंद प्रत्येक नथुने में प्रतिदिन सुबह लगाएं।
होम्योपैथी पद्धतियों के अनुसार निम्नलिखित निवारक प्रबंधन कदम उठाने का सुझाव हैं-
विशेषज्ञों के समूह ने परस्पर यह सिफारिश की है कि होम्योपैथी दवा आर्सेनिकम एल्बम 30 संभावित कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ रोगनिरोधी दवा के रूप में ली जा सकती है। इसे आईएलआई की रोकथाम में भी लेने की सलाह दी गई है। आर्सेनिकम एल्बम 30 की एक खुराक तीन दिनों तक रोजाना खाली पेट लेने की भी सलाह दी गई है। अगर समुदाय में कोरोना वायरस का संक्रमण मौजूद हो, तो यह खुराक एक महीने के बाद दोहरायी जानी चाहिए।
यूनानी प्रथाओं के अनुसार निम्नलिखित निवारक प्रबंधन कदम सुझाए गए हैं-
• बेहिदाना (सिदोनिया ओबलोंगा) 3 ग्राम, उनाब ज़िज़िफ़स (जुज्यूब लिन) 5 नग, सैपिस्तां (कॉर्डिया माइक्सा लिन) 7 नग को 1 लीटर पानी में आधा होने तक उबालकर काढ़ा तैयार करें। इसे बोतल में भरकर आवश्यकता पड़ने पर धीरे-धीरे पीएं।
• रोगनिरोधी उपायों के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को इस उद्देश्य के लिए मजबूत बनाने की जरूरत है। खमीरा मार्वेरीड 3 से 5 ग्राम रोजाना लें।