विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने एक कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि विभिन्न कारणों से संकटग्रस्त बिजली परियोजनाओं को बचाने के लिये एक विशेष उद्देश्यीय कंपनी (एसपीवी) बनाई जा सकती है। यह कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी, आरईसी तथा पीएफसी द्वारा बनाई जायेगी। इस एसपीवी के जरिये पहले चरण में 25,000 मेगावाट क्षमता की फंसी परियोजनाओं को चालू करने का कार्य किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कई परियोजनाएं हैं, जो काम कर रही हैं। लेकिन विभिन्न कारणों से बंद हो गयी हैं या संकट में फंस गई है। कुछ दिन पहले ऊर्जा मामलों की संसदीय समिति ने 34 संकटग्रस्त बिजली परियोजनाओं को लेकर चिंता जतायी थी। इनकी कुल क्षमता 40,000 मेगावाट है और कुल 1.74 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। श्री सिंह ने कहा कि यह आशंका है कि उनकी बिक्री से जो मूल्य प्राप्त होंगे, वह उनका जो मूल्य मिलना चाहिये उससे काफी कम हो सकता है। कर्जदाताओं के पास विकल्प है कि अगर उन परियोजनाओं की संपत्ति के लिये उचित बोली नहीं मिलती है, तो एसपीवी तब तक उसे चला सकती है, जब तक उचित मूल्य प्राप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कुछ वित्तीय संस्थान यह विचार लेकर उनके पास आये और प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि पहली खेप में 25,000 मेगावाट क्षमता की तापीय बिजली परियोजना तथा दूसरे चरण में दबाव वाली 15,000 मेगावाट क्षमता की संपत्ति को रखा जा सकता है। एसपीवी को केंद्रीय लोक उपक्रमों के साथ बिजली खरीद समझौता करना होगा। हमें बिजली खरीद समझौते को लेकर भरोसा है। यह क्षमता का 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत हो सकता है और शेष वाणिज्यिक आधार पर बेची जा सकती है।