प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक परिसरों के सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए ‘सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019’ के नाम से एक नया विधेयक पेश करने को मंजूरी दे दी है।
संशोधनों से सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे लोगों को बड़ी आसानी एवं तेजी से बेदखल करने में मदद मिलेगी और इस तरह से खाली होने वाले आवास प्रतीक्षा सूची में अपनी बारी का इंतजार कर रहे पात्र लोगों को आवंटन के लिए उपलब्ध हो जाएंगे। इससे सरकारी आवास की सुविधा पाने की प्रतीक्षा अवधि कम हो जाएगी।
नया विधेयक ‘सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2017’ के स्थान पर लाया गया है। नए विधेयक को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
नए विधेयक में ‘सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) अधिनियम, 1971’ की धारा 2, धारा 3 और धारा 7 में संशोधन करने की बात कही गई है। इसके लिए धारा 2 में अनुच्छेद (एफबी) से पहले अनुच्छेद (एफए), धारा 3 की धारा 3ए के नीचे एक नई धारा 3बी और ‘सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) अधिनियम, 1971’ की धारा 7 के तहत उप-धारा (3) के नीचे एक नई उप-धारा 3ए जोड़ने की बात कही गई है।
प्रस्तावित संशोधनों से संपदा अधिकारी सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे लोगों की बेदखली के लिए बिना विलंब के कार्रवाई करने और मुकदमेबाजी की अवधि के दौरान सरकारी आवास पर कब्जा बनाए रखने के एवज में क्षति प्रभार लगाने में समर्थ हो जाएंगे।
इस विधेयक से सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे लोगों को तेजी से बेदखल करना और इसके साथ ही पात्र व्यक्तियों के लिए सरकारी आवासों की उपलब्धता बढ़ाना संभव हो जाएगा।
भारत सरकार को पीपीई अधिनियम, 1971 के प्रावधानों के तहत सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे लोगों को बेदखल करना है। हालांकि, बेदखली की कार्रवाई में असामान्य रूप से लंबा समय लगता है। इस वजह से नए पात्र लोगों के लिए सरकारी आवासों की उपलब्धता घट जाती है।
वर्तमान पीपीई अधिनियम, 1971, जिसमें पीपीई अधिनियम विधेयक, 2015 के जरिए संशोधन किया गया है, के तहत बेदखली की प्रक्रिया में लगभग 5 से 7 हफ्तों का समय लग जाता है। हालांकि, अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे लोगों को बेदखल करने में बेहद लंबा समय, यहां तक कि कई वर्ष भी लग जाते हैं। प्रस्तावित विधेयक के तहत संपदा अधिकारी को नोटिस भेजने, कारण बताओ नोटिस भेजने और जांच करने जैसी लंबी-चौड़ी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करना होगा, बल्कि वे तत्काल बिना किसी विलंब के बेदखली प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
यह देश के नागरिकों के लिए एक पारदर्शी और बाधा रहित गवर्नेंस के प्रति सरकार की कटिबद्धता को दर्शाने वाला एक और महत्वपूर्ण निर्णय है।