बिहार के औरंगाबाद जिले के ओबरा प्रखंड स्थित छोटे से गाँव ‘विष्णुपुरा’ के रहने वाले 31 वर्षीय राव रणविजय सिंह का जन्म आम मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ। दिल्ली से सुचना एवं तकनीकी में स्नातक रणविजय का अभिनय की तरफ सहज ही झुकाव हो गया। वर्ष 2009 में रणविजय मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रंगमंच से जुड़े एवं दो वर्ष तक अभिनय का प्रशिक्षण लेने के बाद वर्ष 2011 में एकता कपूर के बालाजी टेलेफिल्म्स से जुड़कर कई टीवी सीरियलों में काम किया। जैसा की आप सब जानते है कि राव रणविजय सिंह ‘यह नाम आज अभिनय की दुनिया में किसी पहचान का मोहताज़ नहीं रहा है। विगत 6 वर्षों में 20 से भी ज्यादा टीवी धारावाहिकों में अपना दमदार प्रदर्शन कर चुके रणविजय बहुत जल्द हमारे और आपके हम सबके सीमांचल पर भी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की रुपरेखा तैयार कर रहे है एक बेहतरीन कलात्मक और बेहद शालीन व्यक्तित्व के धनी राव रणविजय सिंह का सीमांचल की पावन भूमि पर स्वागत है। आम जनता के साथ-साथ, रेणु माटी के उन तमाम बुद्धिजीवियों, लेखकों, कलमकारों के साथ प्रशासन से भी अनुरोध है की एक बेहद प्रतिभाशाली और संवेदनशील अभिनेता को जो बिहार की सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने की कवायद में जुटा है और उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय फ़लक पर पहचान दिलाने के लिए संघर्षरत है, को सीमांचल पर बनने वाली इस वृत्त-फिल्म के हर चरण में सहयोगी भावना के साथ अपना योगदान दे।
एक बेहतरीन व संवेदनशील अभिनेता राव रणविजय सिंह द्वारा अभिनीत वृत्त फिल्म ‘मास्टर साहब’ जो वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से बनाई गई थी का चयन अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फ़ेस्टिवल ज्यूरी स्क्रीनिंग के लिए किया गया है। यह केवल रणविजय ही नहीं बल्कि हम सब बिहारियों के लिए बेहद गर्व की बात है, क्योंकि इस फिल्म फ़ेस्टिवल में पूरे विश्व के 88 देशों के फिल्मकारों की 1092 फिल्मों की एंट्री हुई थी जिसमें ज्यूरी टीम के द्वारा 182 फिल्मों का ऑफिशियल चयन किया गया।
राव रणविजय सिंह बिहार के विभिन्न क्षेत्रों पर अपने डाक्यूमेंट्री और लघु फिल्मों के माध्यम से यहाँ के स्थानीय कलाकारों को बेहतर मंच देना चाहते है।
सावधान इंडिया, हिटलर दीदी, अफ़सर बिटिया, शपथ, हैप्पी होम्स जैसी पॉपुलर सीरीज में काम कर चुके बेहद प्रतिभाशाली रणविजय बहुत जल्द फिल्म निर्देशक दीपक सिंह की हिंदी फिल्म ‘दलदल’ और एक अन्य निर्माणाधीन फिल्म ‘एक बद्रीनाथ’ से अब बड़े परदे पर भी अपने अभिनय का लोहा मनवाने आ रहे हैं। एक संवेदनशील अभिनेता के तौर पर उनकी डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘मास्टर साहब’ में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को दिखाने का प्रयास किया गया है। वहीं उनके गृह जिले औरंगाबाद पर बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘एक सुखद यात्रा- औरंगाबाद’ और सारण जिले पर बनी एक डाक्यूमेंट्री ‘एक सुखद यात्रा- सारण’ ने बहुत वाह-वाही बटोरी इनके माध्यम से रणविजय ने बिहार के कई ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरों और धार्मिक गतिविधियों को राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाकर एक कलाकार के तौर पर अपनी सांस्कृतिक दूरदर्शिता का परिचय दिया है।
राव रणविजय सिंह और उनकी कलात्मक अभिव्यक्तियों को जानने के बाद आप को एक और बिहारी होनहार प्रतिभा से रु-ब-रु होने का अवसर मिलता है। मूलतः बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले राव रणविजय जो मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में पिछले छह साल से सक्रिय है और इस सक्रियता के बाद भी समय-समय पर बिहार के अलग-अलग जिलों पर फिल्म बनाकर अपने बिहार की माटी की हर एक ख़ासियत को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने की कोशिश में लगे हुए हैं। जो अब दग्ध कोसी की उफनती अंतर्धारा से सराबोर रेणु माटी की सोंधी खुशबु लिए अपने सीमांचल के विभिन्न जिलों की खूबसूरती को परदे पर लाने की एक छोटी सी कोशिश करने वाले है, ताकि जूट और मखाने की खेती के लिए प्रसिद्ध हमारा सीमांचल भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक ख़ास पहचान छोड़ सके और यहाँ भी पर्यटन को बढ़ावा मिले। एक बेहद प्रतिभाशाली अभिनेता को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकमनाएं…
-अररिया (बिहार) से स्नेहा किरण की खास रिपोर्ट