आज गुरुवार को संसद के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 2019 चुनाव में देश की जनता ने विकास की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए मतदान किया।
अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सरकार की उपलब्धियां और आने वाले कार्यकाल के दौरान निर्धारित लक्ष्यों के बारे में देश की जनता और सांसदों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस बार, महिलाओं ने पहले की तुलना में अधिक मतदान किया है और उनकी भागीदारी पुरुषों के लगभग बराबर रही है। करोड़ों युवाओं ने पहली बार मतदान करके भारत के भविष्य निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस चुनाव की सफलता के लिए सभी मतदाता बधाई के पात्र हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश के 61 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने मतदान कर, एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है और दुनिया में भारत के लोकतंत्र की साख बढ़ाई है। भीषण गर्मी में भी लोगों ने लंबी कतारों में खड़े रहकर अपना वोट दिया है। इस लोकसभा में लगभग आधे सांसद पहली बार निर्वाचित हुए हैं। लोकसभा के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या में, 78 महिला सांसदों का चुना जाना नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है। इस चुनाव में जनता ने बहुत ही स्पष्ट जनादेश दिया है। सरकार के पहले कार्यकाल के मूल्यांकन के बाद, देशवासियों ने दूसरी बार और भी मजबूत समर्थन दिया है। ऐसा करके देशवासियों ने वर्ष 2014 से चल रही विकास यात्रा को अबाधित और तेज गति से आगे बढ़ाने का जनादेश दिया है।
उन्होंने कहा कि देश के लोगों ने, जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिए लंबे समय तक इंतजार किया। लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। मेरी सरकार जन-साधारण को इतना सजग, समर्थ, सुविधा-युक्त और बंधन-मुक्त बनाना चाहती है कि अपने सामान्य जीवन में उसे सरकार का ‘दबाव, प्रभाव या अभाव’ न महसूस हो। पशुधन, किसानों के लिए बहुमूल्य है। जानवरों से जुड़ी बीमारी के इलाज में उनका बहुत पैसा खर्च होता है। इस खर्च को कम करने के लिए मेरी सरकार ने 13 हज़ार करोड़ रुपए की राशि से एक विशेष योजना शुरू करने का भी फैसला लिया है। क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभावों के कारण आने वाले समय में, जलसंकट के और गहराने की आशंका है। आज समय की मांग है कि जिस तरह देश ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को लेकर गंभीरता दिखाई है, वैसी ही गंभीरता ‘जल संरक्षण एवं प्रबंधन’ के विषय में भी दिखानी होगी। 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है- बढ़ता हुआ जल-संकट। हमारे देश में जल संरक्षण की परंपरागत और प्रभावी व्यवस्थाएं समय के साथ लुप्त होती जा रही हैं। तालाबों और झीलों पर घर बन गए और जल-स्रोतों के लुप्त होने से गरीबों के लिए पानी का संकट बढ़ता गया। हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाना ही होगा। नए ‘जलशक्ति मंत्रालय’ का गठन, इस दिशा में एक निर्णायक कदम है जिसके दूरगामी लाभ होंगे। इस नए मंत्रालय के माध्यम से जल संरक्षण एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण में कहा कि मेरी सरकार राष्ट्र-निर्माण की उस सोच के प्रति संकल्पित है, जिसकी नींव वर्ष 2014 में रखी गई थी। देशवासियों की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी करते हुए, अब सरकार उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप एक सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध और सर्वसमावेशी भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह यात्रा ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ की मूल भावना से प्रेरित है।
नए भारत की यह परिकल्पना केरल की महान आध्यात्मिक विभूति, समाज सुधारक और कवि नारायण गुरु के इन सद्विचारों से प्रेरित है:
‘जाति-भेदम मत-द्वेषम एदुमइल्लादे सर्वरुम
सोदरत्वेन वाड़ुन्न मात्रुकास्थान मानित’
अर्थात एक आदर्श स्थान वह है जहां जाति और धर्म के भेदभाव से मुक्त होकर सभी लोग भाई-भाई की तरह रहते हैं।