स्वच्छ भारत मिशन लोगों के व्यवहार अथवा नजरिए में बदलाव लाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। ग्रामीण समुदायों को एकजुट कर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) सही अर्थों में एक जन आंदोलन में तब्दील हो गया है। इस दिशा में हुई प्रगति के अद्यतन आंकड़ों को आज राजधानी में साझा किया गया, जिसके अनुसार इस मिशन के तहत ग्रामीण भारत में 6 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया गया है। वर्ष 2017 में भारतीय गुणवत्ता परिषद और वर्ष 2016 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा किए गए दो स्वतंत्र सर्वेक्षणों से इन शौचालयों का क्रमशः 91 प्रतिशत तथा 95 प्रतिशत उपयोग किए जाने से संबंधित उत्साहवर्धक तथ्य उभर कर सामने आए हैं। इसके परिणामस्वरूप 10 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों यथा सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़ और दमन एवं दीव के 3 लाख से भी अधिक गांवों और 300 जिलों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है।
इस दिशा में अब तक हुई प्रगति के आंकड़ों को आज पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय में सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर द्वारा आज नई दिल्ली में मीडिया को तकनीकी जानकारी देने के दौरान साझा किया गया। श्री अय्यर ने इसे ‘ग्रामीण भारत में स्वच्छता क्रांति’ की संज्ञा प्रदान करते हुए कहा कि मार्च, 2018 तक 15 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को ‘ओडीएफ’ घोषित किए जाने की आशा है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हुई तेज प्रगति को देखते हुए अक्टूबर, 2019 तक इस मिशन के तहत ‘ओडीएफ भारत’ का लक्ष्य प्राप्त कर लेने के प्रबल आसार नजर आ रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा कराए गए कुछ अध्ययनों को भी साझा किया, जिनमें ग्रामीण परिवार पर स्वच्छता के स्वास्थ्य एवं आर्थिक असर का आकलन किया गया है। यूनिसेफ ने अनुमान व्यक्त किया है कि स्वच्छता का अभाव हर साल भारत में 1,00,000 से भी अधिक बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा कराए गए एक अध्ययन में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत के ओडीएफ गांवों में रहने वाले परिवारों के स्वास्थ्य संकेतक तुलनात्मक दृष्टि से अत्यंत बेहतर पाए गए हैं।