वर्तमान में तालिबान ने काबुल और अफगानिस्तान के अधिकांश इलाकों पर कब्जा कर लिया है। परंतु अभी उन्होंने सरकार का गठन नहीं किया है। वहां से अधिकांश लोग भाग रहे हैं। काबुल हवाई अड्डे पर अफरा तफरी का माहौल है। काबुल हवाई अड्डे और उसके आसपास के इलाके में तीन बार बड़े विस्फोट हो चुके हैं, अर्थात अभी स्थिति नियंत्रण में नहीं है।
तालिबान शब्द अब क्रूरता का पर्याय हो गया है। अफगानिस्तान में हर तरफ मारकाट मची हुई है। चीन रूस और पाकिस्तान तीनों देश अफगानिस्तान से अपना हित साधने में लगे हैं। आप दर्शकों में से कुछ दर्शक यह जानना चाहते हैं कि तालिबान का अफगानिस्तान पर कब शासन खत्म होगा। मैंने दो दर्शकों के प्रश्नों को लेकर दो अलग-अलग प्रश्न कुंडली बनाई और जिसकी विवेचना अब हम करेंगे।
पहली कुंडली तुला लग्न की है। लग्न में कोई ग्रह नहीं है। दूसरे भाव में केतु है जो कि अपने उच्च स्थान पर है। चौथे घर में अपनी ही राशि में वक्री शनि है। पांचवें घर में वक्री गुरु है जोकि सम राशि में है। अर्थात ना अपने दोस्त के घर में है ना दुश्मन के घर में। आठवें घर में राहु और चंद्रमा है। दोनों उच्च के हैं। ग्यारहवें घर में मंगल और सूर्य बैठे हुए हैं। मंगल अपने मित्र के घर में है तथा सूर्य स्वयं के घर में बैठा हुआ है। बारहवें भाव में अपनी नीच राशि में शुक्र और उच्च राशि में बुध बैठे हुए हैं। यहां पर शुक्र नीच भंग राजयोग भी बना रहा है।
इस कुंडली में चार ग्रह राहु केतु चंद्रमा और बुध उच्च के हैं सूर्य और शनि अपनी ही राशि में बैठे हुए हैं तथा मंगल मित्र राशि में है गुरु सम राशि में है। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है शनि और गुरु दोनों वक्री है और मंगल अस्त है। इस कुंडली के D10 कुंडली में कर्म भाव अर्थात दसवें भाव का स्वामी शुक्र बारहवें भाव में स्थित है। शुक्र का गुरु ना तो शत्रु है और ना ही मित्र। दसवें भाव पर मंगल गुरु और शनि की दृष्टि है।
14 अप्रैल 2021 को अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया था कि 11 सितंबर के पहले अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो जाएगी। उस समय इस कुंडली के अनुसार सूर्य की महादशा में मंगल की अंतर्दशा में चंद्रमा का प्रत्यंतर चल रहा था। वर्तमान कुंडली में सूर्य एकादश भाव का अर्थात लाभ के भाव का स्वामी है और उसी भाव में विराजमान है। मंगल ग्रह सप्तम भाव एवं द्वितीय भाव का स्वामी है। सप्तम भाव यात्रा का और द्वितीय भाव धन का होता है। इस कुंडली में मंगल अपने मित्र की सूर्य की राशि में है। चंद्रमा दशम भाव अर्थात कर्म के भाव का स्वामी है और उच्च का है परंतु ग्रहण योग से ग्रस्त हैं। इन तीनों ग्रहों के अच्छी स्थिति के कारण ही अमेरिका ने तालिबान से बातचीत कर अपने सैनिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया।
अगर हम थोड़ा और पीछे जाएं तो हम पाते हैं कि इस कुंडली के अनुसार सूर्य की महादशा 27 फरवरी 2020 से प्रारंभ हुई है। 27 फरवरी 2020 से 4 मार्च 2020 तक सूर्य की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा में सूर्य की प्रत्यंतर दशा थी। जैसा कि हम पूर्व में बता चुके हैं सूर्य की महादशा इस कुंडली के अनुसार बहुत अच्छी होनी चाहिए, अतः तालिबान और अमेरिका की संधि तालिबान के पक्ष में इस समय में हुई।
2 जुलाई 2021 को अमेरिका की अंतिम सैन्य टुकड़ी अफगानिस्तान से रवाना हुई। उस समय सूर्य की महादशा में राहु के अंतर्दशा में गुरु की प्रत्यंतर दशा चल रही थी। 2 जुलाई को शुक्र की सूक्ष्म दशा थी। अब ध्यान देने वाली बात यह है की इस समय सब कुछ तालिबान के पक्ष में ही था। मैं पहले कह चुका हूं कि एकादशेश होने के कारण सूर्य की महादशा पूरी तरह से तालिबान के पक्ष में है।
इसके अलावा राहु इस कुंडली में उच्च राशि में है तथा अष्टम भाव में विराजमान है। अर्थात खून खराबा होने की पूरी संभावना थी और इसमें तालिबान की विजय पक्की थी। प्रत्यंतर दशा गुरु की चल रही थी। गुरु इस कुंडली में बक्री है, सम राशि में है और शत्रु भाव तथा पराक्रम भाव का स्वामी है। यह भी ठीक-ठाक ही फल देने वाला है पराक्रम भाव का स्वामी होने के कारण तालिबान का पराक्रम इस समय बढ़ा है और शत्रु भाव का स्वामी होने के कारण तालिबान के पराक्रम के कारण सभी शत्रु हथियार डालते चले गए। शुक्र जिसकी सुक्ष्म दशा थी बारहवें भाव में नीच भंग राजयोग बना रहा है। अतः तालिबान को राज्य मिलने का रास्ता साफ हो गया। कुंडली में गुरु और चंद्रमा मिलकर गजकेसरी योग भी बना रहे हैं। यह अत्यंत शुभ योग माना जाता है और यह भी राजतिलक दिलाता है।
15 अगस्त 2021 को तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया और इस प्रकार अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान का कब्जा हो गया। इस समय सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा में शनि की प्रत्यंतर दशा में शुक्र की सुक्ष्म दशा चल रही थी। सूर्य और राहु और शुक्र के प्रभाव के संबंध में हम ऊपर बता चुके हैं। शनि इस कुंडली में अपनी ही राशि में बैठा है और वक्री है।
इस कुंडली में बुध ग्रह उच्च राशि का है और भाग्य भाव का स्वामी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा में जब बुध का प्रत्यंतर आएगा तब काबुल में तालिबान की सरकार बन पाएगी। बुध का प्रत्यंतर 15 सितंबर 2021 से 31 अक्टूबर 2021 तक है। काबुल में तालिबान की सरकार 15 सितंबर 2021 से 31 अक्टूबर 2021 के बीच में कभी भी बन सकती है। अगर हम और समय के नजदीक पहुंचना चाहे तो हम पाते हैं कि वर्तमान कुंडली में मंगल प्रबल शत्रुहंता योग बना रहा है और शत्रुहंता योग 21 अक्टूबर 2021 तक रहेगा। हम यह कह सकते हैं कि काबुल में तालिबान सरकार 15 सितंबर से 21 अक्टूबर के बीच में निश्चित रूप से बनेगी।
सरकार बनने के बाद सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा में केतु के प्रत्यंतर 31 अक्टूबर 2021 से प्रारंभ होगा और 18 नवंबर 2021 तक रहेगा। इस समय तालिबान को हर कदम बहुत सोच-समझकर उठाना पड़ेगा। सूर्य की महादशा में गुरु के अंतर्दशा में गुरु का प्रत्यंतर 17 मार्च 2022 से प्रारंभ होगा और 25 अप्रैल 2022 तक रहेगा। यह समय तालिबान के लिए अत्यंत कठिन होगा और संभव है इस समय अवधि में कोई महाशक्ति पुनः अफगानिस्तान पर अपना अधिकार कायम करने का प्रयास करें। यह महाशक्ति अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, रूस, चीन और भारत में से हो सकती है ।
सूर्य में गुरु की अंतर्दशा 17 मार्च 2022 से प्रारंभ होकर 2 जनवरी 2023 तक रहेगी। इस पूरी अवधि में विभिन्न दूसरे देश तालिबान पर अपना अधिकार जताने का प्रयास करेंगे। 3 जनवरी 2023 से 15 दिसंबर 2023 तक अगर अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन रहा तो उसे भयानक मारकाट का सामना करना पड़ेगा। 16 दिसंबर 2023 के उपरांत अफगानिस्तान में एक बार पुनः स्थिर सरकार आएगी।
पं अनिल कुमार पाण्डेय
सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता
एस्ट्रो साइंटिस्ट और वास्तु शास्त्री
स्टेट बैंक कॉलोनी मकरोनिया,
सागर, मध्य प्रदेश-470004
संपर्क- 7566503333