भारत के सबसे बड़े एकीकृत विद्युत उपयोगिता निगम, एनटीपीसी और देश की दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी, ऑयल इंडिया लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक साथ काम करने का निर्णय किया है। एनटीपीसी लिमिटेड और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और इससे संबद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ भू-तापीय ऊर्जा के उपयोग सहित डीकार्बोनाइजेशन पहल जैसे क्षेत्रों में सहयोग का पता लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता ज्ञापन पत्र कार्बन पृथक्करण जैसी आगामी डीकार्बोनाइजेशन प्रौद्योगिकियों पर ज्ञान और अनुभव को साझा करने की सुविधा भी प्रदान करेगा।
समझौता ज्ञापन पत्र के माध्यम से दोनों महारत्न दिग्गज कंपनियां अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी विशिष्टताओं को बढ़ाने और वर्ष 2070 तक देश में नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में स्थायी समाधान तलाशने की मंशा रखती हैं। एनटीपीसी के मुख्य प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह और ऑयल इंडिया लिमिटेड के मुख्य प्रबंध निदेशक डॉ रंजीत रथ और उनके कार्यात्मक निदेशकों की उपस्थिति में दिल्ली में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
एनटीपीसी 73,024 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ बिजली क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला की एक प्रमुख कड़ी है। ऑयल इंडिया लिमिटेड एक सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनी है, जो कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज, विकास और उत्पादन के व्यवसाय से जुड़ी है। एनटीपीसी वर्ष 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका लक्ष्य ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में एक प्रमुख उद्यम के तौर पर कार्य करना है। एनटीपीसी हाइड्रोजन मिश्रण, कार्बन कैप्चर और ईंधन सेल, बसें जैसी कार्बन उत्सर्जन को कम करने वाली कई पहलों पर प्रमुखता से कार्य कर रही है।