ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन ने देश के ताप विद्युत गृहों में उत्पन्न हुए वर्तमान कोयला संकट की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए केंद्र सरकार से विद्युत (संशोधन) विधेयक 2021 वापस लेने, सभी प्रकार के निजीकरण को रोकने, पीपीए की समीक्षा और सभी विद्युत कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहल करने की मांग की है। इसके अलावा AIPEF ने नियमित पदों पर नियमित नियुक्ति और उच्च तकनीकी बिजली क्षेत्र में आउट सोर्सिंग और संविदा सिस्टम को समाप्त करने की मांग की।
मप्रविमं अभियंता संघ के महासचिव विकास शुक्ला ने बताया कि हैदराबाद में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) की संघीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। AIPEF महासचिव पी रत्नाकर राव, संरक्षक के अशोक राव और पीएन सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष टी जयंती और सुनील जगताप और 17 राज्यों यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, जम्मू कश्मीर, एमपी, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, पांडिचेरी, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के प्रतिनिधियों ने संघीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लिया।
AIPEF ने मांग की है कि केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी में विद्युत वितरण का निजीकरण शुरू करने के सभी कदमों पर रोक लगा देनी चाहिए। इसके अलावा बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को वापस लिया जाए। सभी बिजली खरीद समझौतों में व्यापक संशोधन किया जाए। केरल और हिमाचल प्रदेश की भांति अन्य राज्यों की बिजली कंपनियों का एकीकरण किया जाए। बिजली क्षेत्र में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। नियमित पदों पर नियमित नियुक्ति की जाए और आउटसोर्सिंग और संविदा सिस्टम समाप्त किया जाए।
एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे और महासचिव पी रत्नाकर राव ने बताया कि संघीय कार्यकारिणी की बैठक में नौ प्रस्ताव पारित किए गए। एआईपीईएफ ने किसानों, छोटे उपभोक्ताओं (घरेलू सहित), विशेष रूप से एमएसएमई इकाइयों और अन्य उपभोक्ताओं से बिजली आपूर्ति उद्योग के निजीकरण को रोकने के संघर्ष में शामिल होने का आह्वान किया है। बैठक में मप्रविमं अभियंता संघ के महासचिव विकास शुक्ला, उपाध्यक्ष मनोज तिवारी, संयुक्त सचिव सुधीर द्विवेदी जबलपुर ने भाग लिया।