वाराणसी (हि.स.)। ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार शाम को सार्वजनिक की गई। जिला न्यायालय से सर्वे रिपोर्ट की नकल पाने के बाद वादी हिन्दू पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट की जानकारी अपने सहयोगी अधिवक्ताओं के साथ एक होटल में मीडिया से साझा की।
उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट में एएसआई ने साफ कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह एएसआई का निर्णायक निष्कर्ष है। ज्ञानवापी में मंदिर का ढांचा मिला है। उन्होंने दावा किया कि सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया है। ज्ञानवापी में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया।
उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि पहले से ज्ञानवापी में एक मंदिर की संरचना मौजूद थी। इस मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर एक छोटा कक्ष था। जो पहले मंदिर था उसे 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है। बाद में उस हिस्से को मस्जिद में समाहित किया गया। अधिवक्ता ने कहा कि मौजूदा ढांचे में इस्तेमाल किए गए खंभों और प्लास्टर का एएसआई ने गहन अध्ययन किया। इन स्तंभों के हिस्सों का उपयोग बिना अधिक बदलाव के ही इस्तेमाल किया गया है।
अधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान ढांचे को मंदिर के ही अवशेष पर बनाया गया है। गुंबद साढ़े तीन सौ साल ही पुराना है। सर्वे में कई स्थानों पर मंदिर के अवशेष मिले हैं। कई खंभों पर देवी-देवताओं के चित्र के साथ देवनागरी और संस्कृत में कई श्लोक लिखे हैं। मस्जिद परिसर में नागर शैली के कई ऐसे निशान मिले हैं, जो एक हजार साल पुराने हैं, जबकि मस्जिद केवल साढ़े तीन सौ साल पुरानी है। उन्होंने पूरे विश्वास से कहा कि अब उनकी कोशिश होगी कि सील वजूखाने का भी सर्वे कराया जाए, इसके लिए अदालत में अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को वहां पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि जिला अदालत ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। प्रतिवादी पक्ष ने इसकी मांग की थी। जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 23 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। इसी के आधार पर एएसआई की टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के सर्वे किया, फिर सीलबंद रिपोर्ट जिला अदालत में दाखिल की थी।