भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा का स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न कराने क्रिटिकल बूथों पर बेबकास्टिंग या सीसीटीवी कैमरों से नजर रखने के अलावा प्रत्येक क्रिटिकल बूथ पर माइक्रो आब्जर्बर भी तैनात करने के निर्देश दिये हैं।
निर्वाचन आयोग के निर्देश हैं कि गैर सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) उपायों में एक के रूप में माइक्रो आब्जर्बर को भी मतदान के दिन महत्वपूर्ण मतदान केंद्रों के लिये नियुक्त किया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मुताबिक माइक्रो आब्जर्बर क्रिटिकल बूथों पर मतदान के दिन की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखेगा। उसका कार्य यह देखना है कि निर्वाचन प्रक्रिया निष्पक्ष और स्वतंत्र रीति से चले तथा मतदान प्रक्रिया दूषित न हो।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक माइक्रो आब्जर्बर मतदान के दिन निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त सामान्य प्रेक्षकों के निरंतर सम्पर्क में रहेंगे तथा मतदान को प्रभावित करने सकने वाली प्रत्येक गतिविधि की सूचना सीधे मोबाइल फोन या वायरलेस या संचार के अन्य किसी साधन से सामान्य प्रेक्षकों को देंगे। मतदान समाप्ति के बाद माइक्रो आब्जर्बर निर्धारित प्रारूप में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सामान्य प्रेक्षकों को ही सौपेंगे।
भारत निर्वाचन आयोग ने कहा है कि माइक्रो आब्जर्बर केंद्र शासन के या केंद्र शासन के उपक्रमों के कर्मचारियों को बनाया जा सकेगा। ये कर्मचारी ग्रुप सी से निम्न नहीं होंगे। ऐसे कर्मचारी माइक्रो आब्जर्बर के रूप में अपने निवास के जिले में मतदान केंद्रों पर नियुक्त किये जा सकेंगे। हालांकि उनका उपयोग उनके गृह विधानसभा क्षेत्र में नहीं किया जायेगा।
ऐसी स्थिति में जहाँ जिले में माइक्रो आब्जर्बर के रूप में नियुक्त करने के लिये पर्याप्त संख्या में केंद्र शासन अथवा केन्द्र शासन के उपक्रमों के कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं, वहां पड़ोसी जिलों में पदस्थ भारत सरकार या केंद्रीय उपक्रमों के कर्मचारियों को माइक्रो आब्जर्बर बनाया जा सकेगा।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि दुर्लभ स्थितियों में केंद्र या राज्य शासन के सेवा निवृत्त ऐसे अधिकारी का भी उपयोग माइक्रो आब्जर्बर तौर पर जा सकता है, जो ग्रुप सी से कम नहीं हो। ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों को उनके निवास वाले विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों की सूची डीईओ द्वारा पहले से तैयार की जानी चाहिये और उनकी उपलब्धता एवं इच्छा का पता लगाया जाना चाहिये।
निर्वाचन आयोग के अनुसार अन्य राज्यों के राज्य सरकार के सेवारत शासकीय सेवक भी माइक्रो आब्जर्बर बनाये जा सकेंगे। चूंकि इनके लिये आवश्यक व्यवस्था एवं साधन की आवश्यकता होगी इसका सहारा केवल दुर्लभ मामलों में ही लिया जाना चाहिये।
आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय सेवा योजना के सदस्य और कार्यक्रम अधिकारी अथवा समन्वयक को तथा भारत स्काउट गाइड के रिजर्व (रेंजर्स एवं रोवर्स) को भी दुर्लभ मामलों में माइक्रो आब्जर्बर नियुक्त किया जा सकेगा। यहां तक कि ऐसे अनुभवी और सत्यनिष्ठा रखने वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति जो आवश्यक रूप से किसी गैर सरकारी संगठन के सदस्य नहीं है, को भी आयोग की स्पष्ट मंजूरी के साथ माइक्रो आब्जर्बर बनाया जा सकता है, लेकिन इन्हें दुर्लभ से दुर्लभ मामलों में ही माइक्रो आब्जर्बर के रूप में तैनाती के लिये विचार किया जा सकेगा।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक माइक्रो आब्जर्बर को मतदान सबंधी नियमों एवं प्रक्रियाओं के बारे में विस्तृत प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्हें प्रेक्षण के कार्य जो उनसे अपेक्षित हैं तथा रिपोर्ट जो उनके द्वारा प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित है उसके तरीके के बारे में भी प्रशिक्षित किया जायेगा। आयोग ने कहा है कि माइक्रो आब्जर्बर को मतदान के दिन 90 मिनट पहले मतदान केंद्रों पर पहुंचना होगा।
माइक्रो आब्जर्बर मतदान केंद्रों पर मतदान की तैयारियों, मतदान केंद्रों पर उपलब्ध सुविधाओं तथा मॉक पोल से लेकर वास्तविक मतदान शुरू होने एवं मतदान खत्म होने तक की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखेंगे। वे मतदान के दिन निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त सामान्य प्रेक्षक से लगातार संपर्क में रहेंगे और सीधे उन्हें ही अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक क्रिटिकल बूथों पर माइक्रो आब्जर्बर की तैनाती में यह ध्यान में रखना होगा कि जिस निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हैं, उन्हें उसकी बजाय दूसरे निर्वाचन क्षेत्र में तैनात किया जाये। मतदान कर्मियों की तरह माइक्रो आब्जर्बर की मतदान केंद्र पर तैनाती भी रेंडमाइजेशन की प्रक्रिया से होगी। उन्हें डाकमत पत्र से मतदान की सुविधा भी दी जायेगी।