केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्रिलियन डालर का वस्तु निर्यात लक्ष्य हासिल करने के लिये भारतीय बैंकों से एमएसएमई क्षेत्र को अधिक और सस्ती ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। एमएसएमई निर्यातकों को निर्यात ऋण उपलब्धता बढ़ाने के मुद्दे पर चर्चा के लिये बुलाई गई एक बैठक में यह कहा गया। वाणिज्य विभाग ने निर्यात ऋण गारंटी निगम लिमिटेड (ईसीजीसी) के समन्वय में बैठक का आयोजन किया। बैठक में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ इंडिया और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया सहित 21 बैंकों के शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में ‘बैंकों के लिये निर्यात ऋण और निर्यात ऋण बीमा (ईसीआईबी)’ पर ईसीजीसी के सीएमडी एम. सेंथिलनाथन ने एक प्रस्तुतीकरण भी दिया। ईसीजीसी ने बढ़ी कवर योजना के तहत मिले अनुभव के आधार पर अब एमएसएमई निर्यातकों के बड़े हिस्से को पर्याप्त और सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने के लिये योजना में आगे और सुधार का प्रस्ताव किया है। यह उत्पाद निर्यातकों को घटी लागत पर निर्यात ऋण के साथ कर्जदार खाते को ‘एए’ श्रेणी खाते के समान मानने की सुविधा देता है।
बैठक में पीयूष गोयल ने कहा कि ईसीजीसी योजना का नौ बैंकों को किया जाने वाला विस्तार सभी बैंकों तक विस्तार किये जाने की जांच परख कर सकता है ताकि एमएसएमई निर्यातकों को निर्यात ऋण बढ़ाया जा सके। बैंकरों ने सुझाव दिया कि ईसीजीसी को क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) की तरह ही दावा प्रोसेसिंग का तरीका अपनाना चाहिये जिसके लिये वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने ईसीजीसी को उनके नुकसान की भरपाई हेतू इसी तरह का तरीका अपनाने की सलाह दी।
उन्होंने बैंकों को प्रस्तावित योजना का लाभ उठाते हुये एमएसएमई निर्यातकों को पर्याप्त और सस्ता निर्यात ऋण उपलब्ध कराने की सलाह दी। इससे देश 2030 तक एक ट्रिलियन डालर का वस्तु निर्यात लक्ष्य हासिल कर लेने में सक्षम हो सकेगा। उन्होंने ईसीजीसी को ईसीआईबी योजना के तहत दावा प्राप्त होने के 45 दिन के भीतर बैंकों को 75 प्रतिशत दावा भुगतान का परीक्षण करने की भी सलाह दी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने इस मौके पर यह भी जानकारी दी कि अगले चार माह में ईसीजीसी की सभी सेवाओं का डिजिटलीकरण हो जायेगा इससे फिजिकल इंटरेक्शन को कम से कम किया जा सकेगा।