Friday, December 27, 2024
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हाई कोर्ट की डबल बेंच का बड़ा फैसला: प्रमोशन में आरक्षण निरस्त

बिलासपुर (हि.स.)। प्रमोशन में आरक्षण के मामले में 2019 के राज्य सरकार के आदेश को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पूरी तरह से निरस्त कर दिया है। इससे पहले अदालत ने इस पर रोक लगाई थी। यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने किया है।

प्रमोशन में आरक्षण मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दायर कई याचिकाओं पर 5 मार्च को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने मंगलवार को याचिका का निराकरण करते हुए अपने फैसले में कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने आदेश को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्देशों का पालन नहीं किया था।

दरअसल, पूर्व सीएम भूपेश बघेल के शासनकाल में राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर, 2019 को प्रदेश में प्रमोशन पर आरक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इस नोटिफिकेशन के तहत प्रथम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने की बात कही गई थी। इसमें अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, अनुसूचित जन जाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई थी।

नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया था कि यह आरक्षण प्रथम श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के उच्च वेतनमान के पदों पर पदोन्नति होने, द्वितीय श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के पदों पर पदोन्नति और तृतीय श्रेणी के पदों पर पदोन्नत होने पर दिया जाएगा। राज्य सरकार की इस अधिसूचना के खिलाफ रायपुर के एस. संतोष कुमार ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी। साथ ही अन्य याचिकाएं लगाई गई थीं, जिसमें कहा गया कि पदोन्नति में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के दिशा- निर्देशों और आरक्षण नियमों के खिलाफ है। इसलिए राज्य शासन के नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की गई थी।

राज्य शासन की तरफ से 2 दिसंबर, 2019 को स्वीकार किया गया कि अधिसूचना तैयार करने में गलती हुई है। कोर्ट ने इस गलती को सुधारने के लिए एक हफ्ते का समय दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं की हुई। इसके बाद हाई कोर्ट ने अधिसूचना पर रोक लगाते हुए और सरकार को नियमों के अनुसार दो महीने के भीतर फिर से नियम बनाने को कहा।

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