बिजली कंपनी द्वारा कोरोना काल में खरीदी गई करीब 50 लाख रुपये की लागत वाली 2300 बायोमेट्रिक अटेंडेंस डिवाइस कबाड़ बन गई है, क्योंकि मध्य प्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने मोबाइल सेल्फी एप से हाजिरी लगाना अनिवार्य कर दिया है।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के द्वारा पंद्रह हजार नियमित, संविदा, आउटसोर्स कर्मियों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगाने हेतु ग्वालियर व भोपाल रीजन के 18 वृत्त (सर्किलों) के अधीन आने वाले 56 डिविज़न, 359 वितरण केन्द्र व ज़ोन, 33/11 केवी के 1853 सब स्टेशनों सहित कुल 2320 थंब व आईस डिवाइज़ मशीनें वर्ष 2014-2016 के दौरान 50 लाख रुपये में खरीदी गईं थी, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने नया सिस्टम लागू कर बायोमेट्रिक अटेंडेंस डिवाइस को कबाड़ बना दिया है। यह हाजिरी मशीनें चालू अवस्था में रहने पर भी इस्तेमाल नहीं किये जाने से अब अनुपयोगी हो गई हैं।
वहीं अभी हाल ही में गत 18 दिसम्बर 2023 को बिजली कंपनी मुख्यालय के महाप्रबंधक (मानव संसाधन-एक) ने बाह्य स्त्रोत आउटर्सोस कार्मिकों हेतु ई-अटेडेन्स पोर्टल 21 दिसम्बर 2023 से लागू किया है, जिसमें इन कर्मिकों को अपनी शत-प्रतिशत ई-अटेन्डेन्स पोर्टल से लगाने के निर्देश जारी हुए हैं।
अब से डेढ़ साल पहले तक यह आउटसोर्स कर्मी बिजली कंपनी द्वारा खरीदी गई करीब एक हजार थम्ब व आईस डिवाइसों के जरिये अपनी उपस्थिति प्रतिदिन दर्ज कराते थे, पर कोरोना सेकेण्ड फेस के समय बिजली कंपनी ने यह व्यवस्था बंद कर मैन्युअल हाज़िरी लागू की और उसकी जगह अब मोबाईल सेल्फी अटेंडेंस जैसी नई व्यवस्था बिजली कंपनी ने लागू कर दी है।
जिसमें बिजली कंपनी अपने कर्मचारियों को ना तो मोबाइल खरीदकर दे रही है और ना ही रीचार्ज हेतु पैसा प्रदान कर रही है। इस कारण अनेक नियमित, संविदा व आउटसोर्स के भृत्य, फर्राश, माली, हेल्पर व सुरक्षा सैनिक जैसे पदों पर कार्यरत गरीब कर्मचारी एंड्रॉयड मोबाइल खरीदने में असमर्थ होने से परेशान हैं।
बिजली कंपनी ने आनन-फानन में नया ई-अटेंडेंस पोर्टल तो लागू कर दिया पर इस पोर्टल में आउटसोर्स कर्मियों को टेन्डर की शर्तों के मुताबिक प्रत्येक बिजली आउटसोर्स कर्मी के खातें में प्रतिवर्ष 15 आकस्मिक अवकाश और हर वर्ष मिलने वाले नौ राष्ट्रीय त्यौहार अवकाश प्रत्येक कर्मचारी के खाते में दर्शाये जाने थे, जो नहीं दर्शाये गये हैं। इससे ये कर्मचारी पात्र होने पर भी इन अवकाश लाभों से वंचित हो रहे हैं।
ग्रामीण व सुदूर पिछड़े क्षेत्रों में नेटवर्क व सर्वर समस्या हरदम बनी रहती है, इससे कर्मचारियों को डर है कि कई बार नये मोबाइल एप से हाजिरी नहीं लगने पर समय पर आकर व समय पर जाकर पूरा काम करने के बावजूद भी उनका हर माह वेतन कट सकता है।
इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र के 10 से 30 किमी के इलाके में एक या दो नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स लाईन स्टॉफ ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात है। यह कर्मचारी स्टॉफ की कमी के कारण वर्तमान में 12 से 18 घंटे अपनी ड्यूटी निभाते हैं।
अब नई व्यवस्था के कारण 8 घंटे की ड्यूटी करने के बाद भी अधिकारियों के निर्देश पर बिजली सप्लाई व्यवस्था सुचारू रूप से करने में उन्हें वैधानिक अड़चने आ रही हैं, क्योंकि यदि वर्किंग पाली समाप्ति के बाद यदि वह बिजली कंपनी हित में काम करते हैं और पाली समाप्ति के बाद काम करने के दौरान यदि दुर्घटना घटित हो जाती है तो ऐसे में कंपनी अधिकारी इनके कार्य को अवैध करार देकर दुर्घटना के बाद मिलने वाले लाभों से इन्हें व इनके परिजनों को वंचित कर सकते हैं, यह डर भी उन्हें सता रहा है।
इस संबंध में बिजली आउटसोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव का कहना है कि बिजली कंपनी ने जो लाखों रुपये सरकारी खर्च से थम्ब व आईस डिवाइस नियमित हाजिरी हेतु खरीदे थे। उन्हें सभी कार्यालयों में दोबारा स्थापित किया जाये, जिससे ऐसे नियमित, संविदा व आउटसोर्स कर्मी जिनके पास महंगा एंड्राइड मोबाइल फोन नहीं है। वह बिजली कंपनी की डिबाईस मशीनों से अपनी हाजिरी लगा सकें व टेन्डर अनुसार सभी अवकाशों का लाभ ले सकें। मनोज भार्गव ने इस बारे में मुख्यमंत्री व एमडी को पत्र भेजकर इस समस्या को हल करने का आग्रह किया है।