नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सेलिब्रेटी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी भ्रामक विज्ञापनों के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं, अगर वह किसी भ्रामक उत्पाद या सेवा का समर्थन करते हैं। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने पतंजलि की ओर से आईएमए के अध्यक्ष के विवादित बयान के खिलाफ दायर याचिका पर आईएमए अध्यक्ष को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी।
दरअसल, आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर आरवी अशोकन के जानबूझकर दिए गए बयान न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हैं। उन्होंने कहा है कि अशोकन के बयान निंदनीय प्रकृति के हैं और जनता की नजर में सुप्रीम कोर्ट की गरिमा और कानून की महिमा को कम करने का एक स्पष्ट प्रयास है।
सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को दवाओं के भ्रामक विज्ञापन के मामले पर सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से प्रकाशित माफीनामा की भाषा पर संतोष जताया था लेकिन उनके वकीलों की तरफ से अखबार का पूरा पन्ना रिकॉर्ड पर न रखने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने अखबार का पूरा पन्ना दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को आगे की सुनवाई में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी थी।
सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने बताया था कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इंटरव्यू देकर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एलोपैथी डॉक्टरों के बारे में की गई टिप्पणी की आलोचना की थी। जजों ने इसे रिकॉर्ड पर रखने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस विषय को सख्ती से देखेंगे।