केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आज केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) के अध्यक्ष जिष्णु बरुआ को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। विद्युत मंत्रालय के 27 फरवरी 2023 के आदेश के तहत जिष्णु बरुआ को सीईआरसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जिष्णु बरुआ अक्टूबर 2020 से अगस्त 2022 तक असम सरकार के मुख्य सचिव थे। इससे पहले वे अगस्त 2017 से अक्टूबर 2020 तक असम सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे और असम सरकार के विभिन्न विभागों को देख रहे थे। सेवानिवृत्ति के बाद जिष्णु बरुआ ने असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष का पदभार भी संभाला था। जिष्णु बरुआ के पास रक्षा और सामरिक अध्ययन में एम.फिल की डिग्री, स्नातकोत्तर (इतिहास) की डिग्री और स्नातक (दर्शनशास्त्र) की डिग्री है।
सीईआरसी के नए अध्यक्ष के साथ बातचीत के दौरान आरके सिंह ने असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में जिष्णु बरुआ द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि हाल के वर्षों में देश में बिजली व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि मौजूदा क्षमता बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि, अर्थव्यवस्था 7% के करीब बढ़ रही है और बिजली की मांग 10% है, इसलिए बिजली व्यवस्था को अगले एक दशक तक इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और पारदर्शिता से बिजली क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में एक सक्षम निवेश माहौल सुनिश्चित करने की दिशा में काम करते रहने की जरूरत है।
ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने कहा कि भारत को निकट भविष्य में अक्षय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर एकीकरण के साथ एक अग्रगामी और प्रगतिशील केंद्रीय नियामक की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि नए अध्यक्ष के पास फोरम ऑफ रेग्यूलेटर्स के अध्यक्ष के रूप में एक बड़ी जिम्मेदारी होगी, जहां राज्य विद्युत नियामक आयोगों का प्रतिनिधित्व किया जाता है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि बिजली उपयोगिताएं और वितरण कंपनियां वित्तीय रूप से मजबूत रहें।
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) की स्थापना भारत सरकार द्वारा विद्युत नियामक आयोग अधिनियम, 1998 के प्रावधानों के तहत की गई थी। सीईआरसी विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रयोजनों के लिए केंद्रीय आयोग है जिसने ईआरसी अधिनियम, 1998 को निरस्त कर दिया है। आयोग में एक अध्यक्ष और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष समेत चार अन्य सदस्य होते हैं जो आयोग के पदेन सदस्य होते हैं।
अधिनियम के तहत अन्य कार्यों के अलावा सीईआरसी के प्रमुख कार्य केंद्र सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाली उत्पादन कंपनियों के टैरिफ को विनियमित करना, एक से अधिक राज्यों में बिजली के उत्पादन और बिक्री के लिए एक समग्र योजना वाली अन्य उत्पादन कंपनियों के टैरिफ को विनियमित करना, बिजली के इंटर स्टेर ट्रांसमिशन को विनियमित करना और बिजली के इस तरह के ट्रांसमिशन आदि के लिए शुल्क निर्धारित करना आदि हैं। अधिनियम के तहत, सीईआरसी केंद्र सरकार को राष्ट्रीय विद्युत नीति और शुल्क नीति तैयार करने; बिजली उद्योग की गतिविधियों में प्रतिस्पर्धा, दक्षता और मितव्ययिता को बढ़ावा देने; बिजली उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने; और सरकार द्वारा केंद्रीय आयोग को भेजे गए किसी भी मामले पर पर भी सलाह देगा।