प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण और भारत को वैश्विक वस्त्र मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए केंद्र सरकार ने 2021-22 के केंद्रीय बजट में की गई घोषणा के अनुरूप 7 पीएम मित्र पार्कों की स्थापना को स्वीकृति दे दी है।
पीएम मित्र प्रधानमंत्री के 5एफ विजन से प्रेरित है। 5एफ फॉर्मूला में- फार्म टू फाइबर, फाइबर टू फैक्ट्री, फैक्ट्री टू फैशन, फैशन टू फॉरेन शामिल हैं। यह एकीकृत दृष्टिकोण अर्थव्यवस्था में वस्त्र क्षेत्र के विकास को और आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा। किसी अन्य प्रतिस्पर्धी देश में हमारे जैसा संपूर्ण टेक्सटाइल इकोसिस्टम नहीं है। भारत सभी पांचों एफ के मामले में मजबूत है।
व्यापक एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) पार्कों को विभिन्न इच्छुक राज्यों में स्थित ग्रीनफील्ड एवं ब्राउनफील्ड स्थलों पर स्थापित किया जाएगा। अन्य कपड़ा संबंधी सुविधाओं और इकोसिस्टम के साथ-साथ 1,000+ एकड़ के निकटवर्ती और बाधा-मुक्त भूमि खंडों की उपलब्धता वाले राज्य सरकारों के प्रस्तावों का स्वागत है।
समान बुनियादी ढांचे (परियोजना लागत का 30 फीसदी) के विकास के लिए सभी ग्रीनफील्ड पीएम मित्र को अधिकतम विकास पूंजी सहायता (डीसीएस) 500 करोड़ रुपये और ब्राउनफील्ड पीएम मित्र को अधिकतम 200 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा पीएम मित्र में कपड़ा निर्माण इकाइयों की शीघ्र स्थापना के लिए प्रत्येक पीएम मित्र पार्क को प्रतिस्पर्धात्मकता प्रोत्साहन सहायता (सीआईएस) के रूप में 300 करोड़ रुपये भी प्रदान किए जाएंगे। राज्य सरकार की ओर से समर्थन के तौर पर विश्व स्तरीय औद्योगिक संपदा के विकास के लिए 1,000 एकड़ भूमि का प्रावधान शामिल होगा।
एक ग्रीनफील्ड पीएम मित्र पार्क के लिए भारत सरकार की ओर से विकास पूंजीगत सहायता कुल परियोजना लागत की 30 फीसदी होगी। इसकी अधिकतम सीमा 500 करोड़ रुपये तक की होगी। मूल्यांकन के बाद ब्राउनफील्ड स्थलों को लेकर बाकी अवसंरचना और दूसरे सहायक सुविधाओं को विकसित करने के लिए विकास पूंजीगत सहायता कुल परियोजना की 30 फीसदी होगी। इसे 200 करोड़ रुपये तक सीमित किया गया है। यह निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर परियोजना को आकर्षक बनाने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण के रूप में है।
इन पीएम मित्र पार्कों में निम्नलिखित सुविधाएं होंगी-
मूल अवसंरचना:
ऊष्मायन केंद्र और प्लग व प्ले सुविधा, विकसित फैक्ट्री स्थल, सड़कें, विद्युत, जल व अवशिष्ट जल प्रणाली, साझा प्रोसेसिंग हाउस व सीईटीपी और अन्य संबंधित सुविधाएं जैसे कि डिजाइन सेंटर, परीक्षण केंद्र आदि।
सहायक अवसंरचना:
कामगारों के लिए हॉस्टल व हाउसिंग, लॉजिस्टिक पार्क, वेयरहाउसिंग, मेडिकल, प्रशिक्षण व कौशल विकास सुविधाएं
पीएम मित्र शुद्ध विनिर्माण गतिविधि के लिए 50 फीसदी क्षेत्र, उपयोगिताओं के लिए 20 फीसदी क्षेत्र और वाणिज्यिक विकास के लिए 10 फीसदी क्षेत्र विकसित करेगा। पीएम मित्र का एक ढांचागत प्रतिनिधित्व नीचे दिया गया है।
पीएम मित्र पार्क को एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के जरिए विकसित किया जाएगा, जिसका स्वामित्व सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में राज्य सरकार और भारत सरकार के पास होगा। मास्टर डेवलपर न केवल औद्योगिक पार्क का विकास करेगा बल्कि, छूट की अवधि के दौरान इसका रखरखाव भी करेगा। इस मास्टर डेवलपर का चयन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किया जाएगा।
एसपीवी जिसमें राज्य सरकार का अधिकांश स्वामित्व है, विकसित औद्योगिक स्थलों से पट्टे के किराये का हिस्सा प्राप्त करने का हकदार होगा। इसके अलावा श्रमिकों के लिए कौशल विकास पहल और अन्य कल्याणकारी उपायों को प्रदान करके पीएम मित्र पार्क का विस्तार कर क्षेत्र में वस्त्र उद्योग के और अधिक विस्तार के लिए इसका उपयोग करने में सक्षम होगा।
भारत सरकार निर्माण इकाइयों को स्थापित करने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक पीएम मित्र पार्क के लिए 300 करोड़ रुपये की निधि भी प्रदान करेगी। इसे प्रतिस्पर्धात्मकता प्रोत्साहन सहायता (सीआईएस) के रूप में जाना जाएगा और पीएम मित्र पार्क में एक नई स्थापित इकाई के कारोबार के 3 फीसदी तक का भुगतान किया जाएगा।
एक नई परियोजना की स्थापना के लिए इस तरह की सहायता महत्वपूर्ण है और उत्पादन बढ़ाने और अपनी व्यवहार्यता स्थापित करने में सक्षम होने तक जब तक इसकी जरूरत है, इसे बंद नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं के साथ सम्मिलन उन योजनाओं के दिशानिर्देशों के तहत उनकी पात्रता के अनुसार उपलब्ध है। यह वस्त्र उद्योग में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा, सस्ती अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने में सहयता करेगा और लाखों लोगों के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा करेगा। कम लागत वाली अर्थव्यवस्था का लाभ उठाते हुए यह योजना भारतीय कंपनियों को वैश्विक विजेता के रूप में उभरने में सहायता करेगी।