रांची (हि.स.)। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार देर शाम अपना इस्तीफा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को सौंप दिया है। वहीं चंपई सोरेन ने राज्यपाल को नई सरकार बनाने का दावा पेश किया है। उन्होंने 43 विधायकों का समर्थन पत्र भी राज्यपाल को सौंपा है। हालांकि राज्यपाल ने सरकार गठन का समय नहीं दिया था। जानकारी के अनुसार राज्यपाल ने कहा कि आपका सरकार बनाने का दावा पत्र मिला है, जल्द ही बुलाया जाएगा।
राजभवन से बाहर निकलकर चंपई सोरेन, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, प्रदीप यादव ने राजभवन के बाहर कहा कि हमारे पास 47 विधायक हैं और हमने 43 का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा है। राज्यपाल से मांग की है कि विधायक बाहर खड़े हैं, चाहे तो गिनती कर लें। इसपर राज्यपाल ने कहा कि पत्र पढ़ रहा हूं। वह विचार करके उन्हें आमंत्रित करेंगे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मुख्यमंत्री आवास में सत्ता पक्ष के विधायकों की मंगलवार देर शाम से लेकर करीब दो घंटे तक बैठक हुई। वहीं बुधवार को भी सत्ता पक्ष के विधायकों की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना गया।
राज्य के नये मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को महागठबंधन (झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद) के विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। 68 वर्षीय चंपई सोरेन सरायकेला सीट से विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं।
सरायकेला-खरसावां जिले स्थित जिलिंगगोड़ा गांव निवासी आदिवासी सिमल सोरेन खेती किसानी किया करते थे। उनके चार बच्चों में बड़े बेटे का नाम चंपई सोरेन है। चंपई भी अपने पिता के साथ हाथ बंटाते थे। 10वीं क्लास तक सरकारी स्कूल से चंपई ने पढ़ाई लिखाई की। इस बीच उनका विवाह कम उम्र में ही मानकों से कर दिया गया। शादी के बाद चंपई के चार बेटे और तीन बेटियां हुईं। चंपई सोरेन की शिक्षा मैट्रिक तक हुई है।
चंपई सोरेन की राजनीतिक सफरनामा
झारखंड टाइगर से नाम से मशहूर चंपई सोरेन को हेमंत सोरेन से पिता और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का हनुमान कहा जाता है। शिबू सोरेन के साथ ही चंपई भी झारखंड के आंदोलन में सक्रिय थे। इसके बाद चंपई सोरेन ने अपनी सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक बनकर अपने राजनीतिक करियर का आगाज कर दिया। बाद में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए।
सरायकेला से चंपई सोरेन ने छह बार विधानसभा का चुनाव जीता है। 1991 से 2019 के बीच ये केवल एक बार साल 2000 में चुनाव हारे हैं। 2005 के बाद से ये लगातार सरायकेला से विधानसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं। हेमंत सोरेन जब पहली पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। तब इन्हें खाद्य आपूर्ति और साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री बनाया गया था।
-1991 में पहली बार चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की
-1995 में झामुमो के टिकट पर जीत हासिल की।
-2005 से लगातार सरायकेला से विधायक हैं
-भाजपा सरकार में 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक कैबिनेट मंत्री रहे
-13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 तक हेमंत कैबिनेट में खाद्य आपूर्ति और परिवहन विभाग के मंत्री रहे।
-2019 में परिवहन, एससी-एसटी और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बने।
-बिहार-झारखंड बंटवारे में शिबू सोरेन के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
चंपई सोरेन झारखंड आंदोलन के वक्त से ही शिबू सोरेन से जुड़े हुए हैं। इनकी गिनती न केवल सोरेन परिवार के विश्वस्त नेता के रूप में होती है बल्कि पूरी तरह समर्पित कार्यकर्ता भी कहे जाते हैं।
भाजपा सरकार में रह चुके हैं मंत्री
चंपाई सोरेन ने भाजपा नेता अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री के रूप में सेवा की। उन्होंने अहम मंत्रालयों का दायित्व संभाला और 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लग गया था और फिर हेमंत सोरेन की अगुवाई में बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में चंपई सोरेन को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, परिवहन मंत्री बनाया गया।