Tuesday, November 5, 2024
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गर्मी में मौसमी फलों का करें सेवन, अधिक व्यायाम से बचें: डॉ. वंदना पाठक

कानपुर (हि.स.)। वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक ने गर्मी के मौसम में बच्चों को मौसमी फल और सब्जियों के सेवन पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस समय खरबूजा, तरबूज, खीरा, ककड़ी नारियल पानी का भरपूर सेवन करना चाहिए। सब्जियों में परवल, तरोई, लौकी, मूंग की दाल को सेवन लाभदायक है।

उन्होंने यह भी कहा कि फ्रिज का पानी पीने से परहेज करें। मिट्टी के घड़े या सुराही का उपयोग बेहतर रहेगा। सत्तू को ठंडे पानी एवं मिश्री के साथ थोड़ा-थोड़ा घोलकर पीना लाभकारी रहेगा। आम पना इस मौसम के लिए अच्छा है। मसालेदार भोजन से अवश्य बचें और धूप से खुद को बचाएं एवं अधिक व्यायाम से भी बचाव करें।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज अंतर्गत संचालित स्वास्थ्य केन्द्र और आरोग्य क्लीनिक के जरिये राजकीय बाल गृह लाल बंगले में स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ, इसमें 125 बच्चों ने भाग लिया। इन बच्चों का निःशुल्क रूप से स्वर्णप्राशन कराया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. वंदना पाठक, संस्थान के निदेशक डॉ. दिग्विजय शर्मा, डॉ. निरंकार गोयल, डाॅ. प्रवीन कटियार, डॉ. राम किशोर, हरीश चन्द्र शर्मा आदि ने दीप प्रज्वलन व धन्वन्तरि पूजन के साथ किया।

डॉ. पाठक ने अभिभावकों और लोगों को ग्रीष्म ऋतु के अनुसार आहार-विहार और बच्चों में कुपोषण जनित रोगों पर विशेष रूप से ध्यान देने का परामर्श दिया। उन्होंने स्वर्णप्राशन संस्कार के बारे में बताते हुए कहा कि आयुर्वेद की यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है।

संस्कार की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में विशेष योगदान करता है। जिन बच्चों में यह संस्कार नियमित रूप होता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी गयी हैं।

स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त होने वाली औषधि स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया जाता है।

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