कानपुर (हि.स.)। सूरज की आग उगलती लपटों से समूचे उत्तर भारत में निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है। ऐसे में समुद्री गतिविधियों के तहत दक्षिण पश्चिम मानसून सक्रिय हो गया और अण्डमान नीकोबार द्वीप समूह पर मानसून ने 72 घंटे पहले ही दस्तक दे दी है।
मौसम विभाग का कहना है कि अमूमन यहां पर दक्षिण पश्चिम मानसून 22 मई को पहुंचता है। उत्तर भारत में इसी प्रकार निम्न दबाव का क्षेत्र बना रहा और समुद्री गतिविधियां भी ऐसी बनी रहीं तो संभावना है कि इस सीजन में मानसून समय से पहले सामान्य से अधिक बारिश कर सकता है।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने सोमवार को बताया कि अगर इसी गति से मानसून चलता रहा तो केरल में भी मानसून तीन दिन पहले प्रवेश कर जाएगा।
मानूसन से पहले मौसम विभाग ने बताया है कि केरल,तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल और माहे में 20 मई 2024 को अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा (204.5 मिलीमीटर से अधिक) होने की संभावना जताई है। इसके कारण रेड अलर्ट जारी किया है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून 31 मई को केरल पहुंचने का अनुमान है। इसके साथ ही तमिलनाडु, पुडुचेरी एंव कराईकल में 22 मई तक अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.5 मिलीमीटर) होने की संभावना है और 21 मई 2024 को अलग-अलग स्थानों पर अत्यंत भारी वर्षा (204.5 मिलीमीटर से अधिक) होने की संभावना है। इसके कारण यहां आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
आंतरिक दक्षिणी कर्नाटक में 20 मई को भारी से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.5 मिलीमीटर) होने की पूर्ण संभावना है। इसके अलावा केरल एंव माहे में 22 मई को अलग-अलग स्थानों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है और 21 मई 2024 को अलग-अलग स्थानों पर अत्यंत भारी वर्षा (204.5 मिलीमीटर से अधिक) होने की संभावना है। मेघालय में 20 मई को अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.5 मिलीमीटर) होने की संभावना है। रायलसीमा में 27 मई, 2024 को भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून को भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा कहा जाता है। वर्तमान यह मानसून देश के सबसे दक्षिणी क्षेत्र निकोबार द्वीप समूह पर दस्तक दे दी है। दक्षिण-पश्चिम मानसून मालदीव के कुछ हिस्सों और कोमोरिन क्षेत्र और दक्षिण बंगाल की खाड़ी, निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण अंडमान सागर के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है।