केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने संडे संवाद के चौथे एपिसोड में सोशल मीडिया के इंटरेक्टर्स द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए।
कोरोना वैक्सीन के वितरण को प्राथमिकता देने से संबंधित प्रश्नों का जवाब देते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय वर्तमान में एक प्रारूप तैयार कर रहा है, जिसमें राज्य वैक्सीन प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता वाले जनसंख्या समूहों की सूची प्रस्तुत करेंगे, विशेषकर कोविड-19 के प्रबंधन में लगे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसमें शामिल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सूची में सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र के डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, स्वच्छता कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, निगरानी अधिकारी और अनेक अन्य व्यावसायिक श्रेणियों के कर्मी शामिल होंगे जो मरीजों का पता लगाने, परीक्षण करने और उनके उपचार में शामिल हैं।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि मोटेतौर पर अनुमान है कि जुलाई 2021 तक लगभग 20-25 करोड़ लोगों को कवर करने के लिए कोरोना वैक्सीन की 400-500 मिलियन खुराक की प्राप्ति और उपयोग होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इन योजनाओं को अंतिम रूप देते समय कोविड-19 के सम्बंध में प्रतिरक्षा डेटा पर भी नजर रख रही है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि नीति आयोग सदस्य (स्वास्थ्य) वी.के. पॉल की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति पूरी प्रक्रिया का खाका तैयार कर रही है।
वैक्सीन की खरीदारी केंद्रीय रूप से की जा रही है और जब तक सबसे जरूरतमंद तक आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की जाती, वैक्सीन की हर खेप उचित समय पर प्राप्त की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह समिति देश में विभिन्न टीकों की उपलब्धता की समय-सीमा को समझने के लिए काम कर रही हैं तथा भारत की माल सूची और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिए अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीन की खुराक उपलब्ध कराने के लिए वैक्सीन विनिर्माताओं से प्रतिबद्धता प्राप्त कर रही हैं।
इसके अलावा उच्च जोखिम वाले समूहों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। यह कार्य प्रगति पर है जिसे टीकाकरण कार्यक्रम के काम को तेजी से शुरू होने की सुनिश्चितता के लिए वैक्सीइन तैयार होने के समय तक पूरा कर लिया जाएगा।
डॉ हर्षवर्धन ने विभिन्न नैदानिक परीक्षणों के स्तर के बारे में पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में सभी प्रस्तावित नैदानिक परीक्षणों को निर्धारित सिद्धांतों का उपयोग करते हुए ही किया गया है और इसकी कड़ी समीक्षा ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया द्वारा गठित विषय विशेषज्ञ समिति द्वारा की गई है।
अभी हाल ही में डीसीजीआई ने भारत में कोविड-19 वैक्सीन लाइसेंस के लिए नियामक आवश्यकताओं पर दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार किया है। भारत में रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन के चरण-3 के नैदानिक परीक्षण के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ हर्षवर्धन ने स्पष्ट किया कि यह मामला अभी भी विचाराधीन है और चरण-3 परीक्षणों के बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि टीकाकरण के बाद विकसित होने वाली घटनाएं आम हैं। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद होने वाली प्रतिकूल घटनाओं में सुई लगने वाली जगह पर दर्द, हल्का बुखार और लाली, चिंता से संबंधित घबराहट जैसे कंपकपी, बेहोशी आदि शामिल हैं। ये घटनाएं क्षणिक, आत्म-सीमित हैं और वैक्सीन की सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया को प्रभावित नहीं करती हैं।