Thursday, October 31, 2024
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देव काज और देश काज दोनों ही तेज गति से हो रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी

मेहसाणा (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मौजूदा कालखंड को भारत की विकास यात्रा के लिए अहम बताते हुए कहा कि ये ऐसा समय है, जब देव काज (भगवान का काम) और देश काज (देश का काम) दोनों ही बहुत तेज गति से हो रहे हैं। प्रधानमंत्री गुरुवार को गुजरात के मेहसाणा में वलीनाथ धाम मंदिर का उद्घाटन करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के मेहसाणा में 13,500 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि इन रेल, सड़क, बंदरगाह, परिवहन, जल, सुरक्षा, शहरी विकास और पर्यटन परियोजनाओं से जीवन में आसानी बढ़ेगी और क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने ठीक एक महीने पहले 22 जनवरी को याद किया, जब उन्हें अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह करने का अवसर मिला था। प्रधानमंत्री ने अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज जब भव्य राम मंदिर बन गया है तो नकारात्मकता में जीने वाले लोग नफरत का रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

प्रधानमंत्री ने मंदिरों को ज्ञान और विज्ञान का केंद्र बताया और कहा कि हमारे यहां मंदिर सिर्फ देवालय या पूजा पाठ करने की जगह नहीं बल्कि ये हमारी हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति और परंपरा के प्रतीक हैं। हमारे यहां मंदिर देश और समाज को अज्ञान से ज्ञान की तरफ ले जाने के माध्यम रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत की विकास यात्रा में ये एक अद्भुत कालखंड है। ये एक ऐसा समय है, जब देवकाज हो या फिर देश काज, दोनों तेज गति से हो रहे हैं। देवसेवा भी हो रही है और देशसेवा भी हो रही है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये मंदिर एक पूजा स्थल से बढ़कर हमारी सदियों पुरानी सभ्यता के प्रतीक भी हैं। प्रधानमंत्री ने समाज में ज्ञान फैलाने में मंदिरों की भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने ज्ञान फैलाने की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय धार्मिक अखाड़ों की सराहना की और कहा कि पुस्तक परब के आयोजन और स्कूल और छात्रावास के निर्माण से लोगों में जागरूकता और शिक्षा बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि आज देश सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर चल रहा है। ये भावना हमारे देश में कैसे रची-बसी है, इसके दर्शन भी हमें वालीनाथ धाम में होते हैं। मोदी ने कहा कि कहा कि सैंकड़ों वर्ष पुराना ये मंदिर आज 21वीं सदी की भव्यता और पुरातन दिव्यता के साथ तैयार हुआ है। ये मंदिर सैंकड़ों शिल्पकारों, श्रमजीवियों के वर्षों के अथक परिश्रम का भी परिणाम है।

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशकों में गुजरात में बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा विरासत स्थलों के विकास की दिशा में सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने विकास और विरासत के बीच टकराव की स्थिति पैदा करने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “पिछले 20 वर्षों में हमने गुजरात में विकास के साथ-साथ विरासत से जुड़े स्थानों की भव्यता के लिए भी काम किया है। दुर्भाग्य से आजाद भारत में लंबे समय तक विकास और विरासत के बीच टकराव पैदा किया गया। इसके लिए अगर कोई दोषी है तो वही कांग्रेस है, जिन्होंने दशकों तक देश पर शासन किया।”

उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने सोमनाथ जैसे पावन स्थल को भी विवाद का कारण बनाया। ये वही लोग हैं, जिन्होंने पावागढ़ में धर्मध्वजा फहराने की इच्छा तक नहीं दिखाई। ये वही लोग हैं, जिन्होंने दशकों तक मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर को भी वोटबैंक की राजनीति से जोड़कर देखा। ये वही लोग हैं, जिन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर भी सवाल उठाए, उनके मंदिर निर्माण को लेकर रोड़े अटकाए। आज जब जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है, जब पूरा देश इससे खुश है तो भी नकारात्मकता को जीने वाले लोग नफरत का रास्ता छोड़ नहीं रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी की गारंटी का लक्ष्य, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े देशवासी का भी जीवन बदलना है। इसलिए एक तरफ देश में देवालय भी बन रहे हैं और करोड़ों गरीबों के पक्के घर भी बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने वालीनाथ धाम में निहित सबका साथ, सबका विकास की भावना के बारे में बात की और कहा कि इस भावना के अनुरूप सरकार हर वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “मोदी की गारंटी का लक्ष्य समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाना है।” उन्होंने हाल ही में 1.25 लाख घरों के समर्पण और शिलान्यास को याद करते हुए करोड़ों गरीबों के लिए पक्के घरों के निर्माण के साथ नए मंदिरों के निर्माण की तुलना की। उन्होंने 80 करोड़ नागरिकों के लिए मुफ्त राशन को ‘भगवान का प्रसाद’ और 10 करोड़ नए परिवारों के लिए पाइप से पानी को ‘अमृत’ बताया।

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