जयपुर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका के पद पर नियुक्ति देकर अभ्यर्थी को ढाई माह बाद बर्खास्त करने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में प्रमुख महिला एवं बाल विकास सचिव, निदेशक, उप निदेशक और सीडीपीओ, अलीगढ़ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश रुखसार बानो की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि सीडीपीओ, अलीगढ ने एक दिसंबर, 2023 को आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या चार को अल्पसंख्यक वर्ग के लिए आरक्षित बताते हुए विज्ञापन जारी किया। जिसमें याचिकाकर्ता ने सहायिका पद के लिए आवेदन किया। वरीयता में आने पर चयन समिति ने उसका चयन कर लिया। वहीं सीडीपीओ ने गत 26 फरवरी को उसके नियुक्ति आदेश जारी कर दिए।
इसके बाद याचिकाकर्ता ने इसी दिन कार्यग्रहण कर लिया। याचिका में कहा गया कि आठ मई, 2024 को सीडीपीओ ने उसकी सेवा यह कहते हुए समाप्त कर दी कि सहायिका का पद अल्पसंख्यक वर्ग के लिए आरक्षित नहीं है। जिसे याचिका में चुनौती देते हुए कहा गया कि भर्ती विज्ञापन जारी होने के बाद आरक्षण में छेड़छाड़ नहीं की सकती है।
इसके अलावा याचिकाकर्ता को तीन माह की सेवा के बाद बिना सुनवाई का मौका दिए हटाना की गलत है। ऐसे में याचिकाकर्ता की सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।