नई दिल्ली (हि.स.)। देश के पहले स्वदेशी मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (एमएएलई) ड्रोन दृष्टि-10 ने शुक्रवार को भारतीय नौसेना के लिए पहली उड़ान भरी। यह यूएवी पिछले माह नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार को सौंपा गया था। भारतीय नौसेना और सेना ने 2-2 दृष्टि-10 यूएवी विमानों का ऑर्डर दिया है। भारत में इसका निर्माण अडाणी डिफेंस ने इजराइली एल्बिट ग्रुप के लाइसेंस पर किया है और इसका 20 फीसदी हिस्सा पहले ही इज़राइल को निर्यात किया जा चुका है।
भारतीय बलों के लिए निगरानी और टोही को बढ़ावा देने में आज का दिन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्वदेशी मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस दृष्टि-10 यूएवी का निर्माण अडाणी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज ने हैदराबाद स्थित यूएवी कॉम्प्लेक्स में समुद्री निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए किया है। रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट हर्मीस 900 स्टारलाइनर उर्फ दृष्टि-10 ने आज भारतीय नौसेना के लिए अपनी पहली उड़ान भरी। यह 70 फीसदी स्वदेशी है, जो भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्शाता है। 30 हजार फीट की ऊंचाई पर 36 घंटे की उड़ान और 450 किलोग्राम का पेलोड ले जाने की क्षमता के साथ यह ड्रोन खुफिया, निगरानी और टोही मिशनों के लिए उपयोगी है।
दृष्टि-10 यूएवी की खूबियों के बारे में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने बताया कि अत्याधुनिक सेंसर, उन्नत सहनशक्ति, उन्नत संचार क्षमताओं के साथ-साथ स्वचालित टेक ऑफ और लैंडिंग (एटीओएल) जैसी नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के साथ नौसेना की इंटेलिजेंस, निगरानी और विश्वसनीयता बढ़ेगी। दृष्टि-10 आकाश में हमारी तीसरी आंख बन सकता है, जिससे हमारी नौसेना भारत पर बुरी नजर डालने की हिम्मत करने वाले किसी भी व्यक्ति पर निशाना साधने में सक्षम होगी। उन्होंने कहा कि दृष्टि-10 यूएवी भारत के राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा के लिए हमारे भविष्य के नौसैनिक अभियानों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे दोस्तों और भागीदारों के सहयोग से समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित होगी।