Tuesday, November 5, 2024
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पूर्वी अफ्रीका में की गई आईसीजी के गश्ती जहाज ‘वराह’ की रणनीतिक तैनाती

नई दिल्ली (हि.स.)। भारतीय तटरक्षक अपतटीय गश्ती जहाज (OPV) आईसीजीएस वराह को पूर्वी अफ्रीका में रणनीतिक विदेशी तैनाती के रूप में भेजा गया है। यह जहाज बुधवार को मोजाम्बिक के मापुटो पत्तन पर पहुंच गया है। यह मौजूदा राजनयिक सामुद्रिक जुड़ाव के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पूर्वी अफ्रीका में आईसीजीएस वराह की तैनाती अफ्रीकी देशों के साथ करीबी और सौहार्द्रपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के साथ ही सामुद्रिक सहयोग के माध्यम से मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार अपनी इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान आईसीजीएस वराह की टीम समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया (एमपीआर), समुद्री खोज व बचाव (एम-एसएआर) और सामुद्रिक कानून प्रवर्तन के क्षेत्र में पेशेवर वार्ता की एक श्रृंखला में हिस्सा लेगी। इनमें क्रॉस-डेक प्रशिक्षण, विभिन्न मोजाम्बिक नौसेना व समुद्री एजेंसियों के अधिकारियों से मुलाकात, खेल कार्यक्रम, संयुक्त योग सत्र, टेबलटॉप अभ्यास और मोज़ाम्बिक नौसेना बलों के साथ पैसेज एक्सरसाइज (पैसेक्स) शामिल है।

पूर्वी अफ्रीकी देशों में स्वदेश निर्मित अपतटीय गश्ती जहाज आईसीजीएस वराह की इस यात्रा का उद्देश्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय पोत निर्माण उद्योग की शक्ति और क्षमताओं का प्रदर्शन करना भी है। आईसीजी पोत पर सवार राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का एक दल सरकार की पहल ‘पुनीत सागर अभियान’ को मापुटो में एक स्थानीय युवा संगठन के साथ समुद्र तट स्वच्छता अभियान संचालित करेगा। इन सहयोगात्मक प्रयासों का उद्देश्य भारतीय तटरक्षक बल व मोजाम्बिक में उनके समकक्षों के बीच संबंधों को और अधिक मजबूत करना है।

मंत्रालय के अनुसार यह विदेशी तैनाती द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने और विदेशी मित्र देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की भारतीय तटरक्षक की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। इस यात्रा से पहले आईसीजीएस वराह ने अफ्रीकी क्षेत्र में केन्या के मोम्बासा पत्तन पर तैनात होकर राजनयिक सामुद्रिक गतिविधियों की निर्बाध निरंतरता का प्रदर्शन किया था। मापुटो की यह यात्रा काफी महत्व रखती है, क्योंकि यह प्रमुख समुद्री एजेंसियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करती है। दीर्घकालिक संबंधों के क्षेत्र में समुद्र की सुरक्षा और समकालीन सामुद्रिक चुनौतियों के समाधान करने को लेकर भी यह तैनाती महत्वपूर्ण है।

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