एमपी ट्रांसको ने उज्जैन स्थित अपनी 132 केवी एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन के पास मानव जीवन के लिये खतरा बनने वाले निर्माण को हटवाकर एक अनुपम पहल की है। इसमें मुख्य बात यह रही कि जब एमपी ट्रांसको के अधिकारियों ने मकान मालिक को इससे या इस लाइन के इंडक्शन जोन में आने से हो सकने वाली संभावित दुर्घटना के प्रति सचेत किया तो उन्होने यह निर्माण हटाने में एम.पी. ट्रांसको के अधिकारियों का पूरा सहयोग किया।
विदित हो कि इन निर्माणों के कारण घातक विद्युत दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है, पर इस बार स्वंय पहल करते हुये एमपी ट्रांसको के स्थानीय अधिकारियों ने बातचीत एवं समझाइश देकर निर्माण हटवाने का उल्लेखनीय कार्य किया। मकान मालिक द्वारा निर्माणाधीन मकान के तीसरी एवं चौथी मंजिल के लगभग तीन फुट एक्सटेंडेड एरिया को तोडने में पूरा सहयोग किया गया, जिससे उक्त निर्माण को जनधन हानि की आंशका से सुरक्षित किया जा सका।
एमपी ट्रांसको के मुख्य अभियंता एसके गायकवाड़ ने बताया कि 132 केवी उज्जैन-रातडिया लाईन के लोकेशन क्रं. 11-12 के मध्य बैकुन्ठ धाम कालोनी, उज्जैन के एक निवासी द्वारा तारों के समानान्तर चार मंजिला मकान का निर्माण किया जा रहा था। निर्धारित मापदंडों के अनुसार निर्माण एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइनों से कम से कम 2.9 मीटर दूरी के बाद ही किये जाने चाहिए पर यह निर्माण मात्र 2.3 मीटर दूरी पर ही किया जा रहा था जो कि बेहद खतरनाक होता। विगत दिवस इसी स्थल पर उक्त कम क्लीयरेंस के निर्माण से तेज आंधी के दौरान 132 केवी एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन का टॉप कंडक्टर तेज हवा मे झूलकर मकान के संपर्क मे आया, जिससे उक्त लाईन ट्रिप हुई। संयोग से उस दरम्यान घटना स्थल पर कोई उपस्थित नहीं था जिससे एक बड़ी जनहानि टल गई।
इस कार्यवाही में एमपी ट्रांसको उज्जैन के कार्यपालन अभियंता धनसिंह भलावी एवं सहायक अभियंता शचीन्द्र शर्मा के अलावा मेंटेनेन्स टीम के हेमराज पाटीदार, दिनेश भुसारे, गोवर्धन लाल डांगी, अजीत कुमार आदि द्वारा कालोनी एवं शहर के कई हिस्सों में एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइन से सुरक्षित दूरी बनाये रखने संबंधी अनाउंसमेंट कराये गये एवं घर-घर जाकर समझाइश भी दी गई।
एमपी ट्रांसको के मुख्य अभियंता एसके गायकवाड़ ने बताया कि उज्जैन की तरह यह कार्यवाही पूरे मध्यप्रदेश के एक्स्ट्रा हाईटेंशन लाइनों के नजदीक नियम विरूद्ध बनाये गये खतरनाक निर्माण को हटाने की कार्यवाही नागरिकों तथा प्रशासन का सहयोग प्राप्त कर की जावेगी, ताकि निर्धारित मापदंडों को नजर अंदाज कर होने वाले निर्माण को ट्रांसमिशन लाइनों के संपर्क एवं इंडक्शन जोन में आने के कारण किसी भी प्रकार की जनधन हानि की आशंका को टाला जा सके।