देश-दुनिया के इतिहास में 27 फरवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह तारीख क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की स्मृतियों के रूप में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज दै। चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की आजादी की लड़ाई के लिए कुर्बान कर दिया। चंद्रशेखर बेहद कम्र उम्र में देश की आजादी की लड़ाई का हिस्सा बने थे। जब सन् 1922 में चौरी चौरा की घटना के बाद गांधीजी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया तो आजाद का कांग्रेस से मोहभंग हो गया। इसके बाद वे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल और योगेश चन्द्र चटर्जी के 1924 में गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए।
इस एसोसिएशन के साथ जुड़ने के बाद चंद्रशेखर ने रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी कांड (1925) में पहली बार सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। इसके बाद चंद्रशेखर ने 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया। इन सफल घटनाओं के बाद उन्होंने अंग्रेजों के खजाने को लूट कर संगठन की क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन जुटाना शुरू किया।
चंद्रशेखर को ‘आजाद’ नाम एक खास वजह से मिला। चंद्रशेखर जब 15 साल के थे तब उन्हें किसी केस में एक जज के सामने पेश किया गया। वहां पर जब जज ने उनका नाम पूछा तो उन्होंने ने कहा, ‘मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है’। जज ये सुनने के बाद भड़क गए और चंद्रशेखर को 15 कोड़ों की सजा सुनाई, यहीं से उनका नाम आजाद पड़ गया। चंद्रशेखर पूरी जिंदगी अपने आप को आजाद रखना चाहते थे।
अंग्रेजों से लड़ाई करने के लिए चंद्रशेखर आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में सुखदेव और अपने एक अन्य साथियों के साथ बैठकर आगामी योजना बना रहे थे। इस बात की जानकारी अंग्रेजों को मिल गई। उन्होंने एक पल भी गंवाए हमला कर दिया। आजाद ने अपने साथियों को वहां से भगा दिया और अकेले अंग्रेजों से लोहा लेने लगे। इस लड़ाई में पुलिस की गोलियों से आजाद बुरी तरह घायल हो गए। वे सैकड़ों पुलिस वालों के सामने 20 मिनट तक लड़ते रहे। उन्होंने संकल्प लिया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसीलिए अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी। इस तरह आजाद ने ताउम्र अंग्रेजों के हाथों गिरफ्तार नहीं होने का अपना वादा पूरा किया और 27 फरवरी, 1931 की तारीख हमेशा के लिए स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास में दर्ज हो गई।
महत्वपूर्ण घटनाचक्र
1879ः आर्टिफिशियल स्वीटनर सैकरीन की खोज रूसी रसायनशास्त्री कॉन्सटैंटिन फालबर्ग ने की।
1932ः ब्रिटिश भौतिकशास्त्री जेम्स चैडविक ने न्यूट्रॉन की खोज की।
1951: अमेरिकी संविधान में 22वां संशोधन किया गया, जिसके बाद तय हुआ कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति बन सकता है। इससे पहले यहां ऐसी लिमिट नहीं थी।
2001ः गोधरा (गुजरात) में अयोध्या से वापस आ रहे कारसेवकों के डिब्बे में मुसलमानों के आग लगाए जाने से 59 हिन्दू कारसेवकों की मौत।
2001ः अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी देव प्रतिमाओं को नष्ट करने का आदेश दिया।
2005ः मारिया शारापोवा ने ‘कतर ओपन’ खिताब जीता।
2007ः लान्साना कोयटे गुयाना के नए प्रधानमंत्री बने।
2008ः पाकिस्तान की सरकार ने आसिफ अली जरदारी के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के सभी आरोप वापस लिए।
2009ः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी लोकसभा सीट का उत्तराधिकारी पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल जी टंडन को सौंपा।
2010ः भारत ने आठवीं राष्ट्रमंडल निशानेबाजी प्रतियोगिता में 35 स्वर्ण, 25 रजत और 14 कांस्य सहित कुल 74 पदक जीतकर प्रथम स्थान हासिल किया।
2012ः भारत की ऊर्जा की मांग 2030 तक घटकर 4.5 प्रतिशत रह जाएगी। यह अनुमान ऊर्जा क्षेत्र की वैश्विक कंपनी बीपी ने लगाया।
जन्म
1882ः राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विजय सिंह पथिक।
1912ः मराठी साहित्यकार विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज।
1925ः मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामा चरण शुक्ल।
1943ः भारतीय राजनीतिज्ञ बीएस येदयुरप्पा।
1952ः फिल्मकार प्रकाश झा।
1954ः केंद्रीयमंत्री वीरेन्द्र कुमार खटीक।
निधन
1931ः प्रसिद्ध क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद।
1956ः लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर।
1976ः कर्नाटक के प्रथम मुख्यमंत्री केसी रेड्डी ।
1997ः गीतकार इन्दीवर।
2010ः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के व्रती स्वयंसेवक, सुप्रसिद्ध समाजसेवी और राष्ट्रऋषि की संज्ञा से विभूषित नानाजी देशमुख।
दिवस
-चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि
-गणेश वासुदेव मावलंकर की पुण्यतिथि
-नानाजी देशमुख की पुण्यतिथि