इस सप्ताह 11 नवंबर को रमा एकादशी या तुलसी एकादशी है। कहते हैं एक बार देवर्षि नारद भगवान श्री कृष्ण के घर गए थे। वहां पर सत्यभामा से उन्होंने दान के रुप में भगवान श्रीकृष्ण को मांग लिया था। जाते समय देवर्षि नारद अपने साथ श्रीकृष्ण को लेकर चलने लगे। तब सभी रानियां इससे दुखी हो गई और उन्होंने नारद जी से अनुरोध किया कि वे श्रीकृष्ण को मुक्त कर दें।
मुक्त करने के लिए देवर्षि नारद ने शर्त रखी कि श्रीकृष्ण के बराबर उनको स्वर्ण चाहिए। परंतु सभी रानियों के सम्मिलित गहनों का वजन श्रीकृष्ण की वजन के बराबर ना हो सका । तब महारानी रुक्मणी ने तुलसी जी की पूजा कर तराजू के पल्ले पर स्वर्ण के साथ तुलसी दल को रखा और स्वर्ण का पल्ला भारी हो गया। इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण मुक्त हुए। तब से कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी को तुलसी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
12 नवंबर को धनतेरस है। इस दिन अकाल मृत्यु से बचने के लिए विधि पूर्वक दीपदान किया जाता है। वास्तव में 12 नवंबर को प्रातः काल द्वादशी तिथि है, परंतु 6:01 सायंकाल से त्रयोदशी तिथि है। धनतेरस रात्रि का त्यौहार है, अतः यह 12 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
13 नवंबर को रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी का त्यौहार है। भगवान विष्णु ने नरकासुर का वध किया था। वास्तव में यह त्यौहार स्वच्छता का त्योहार है। इस दिन हम अपने घर को पूरी तरह से साफ सुथरा कर गंदगी को बाहर फेंकते हैं। उत्तर भारत में इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है।
14 नवंबर को दीपावली है। 1:19 बजे दिन से अमावस्या तिथि प्रारंभ हो रही है। दीपावली रात्रि का त्यौहार है। इसलिए इसे 14 नवंबर की रात्रि को मनाया जाएगा। दीपावली में लक्ष्मी कुबेर की पूजा, केदार गौरी का व्रत और लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भगवान राम, रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे। अतः उस दिन पूरे अयोध्या में दीए जलाए गए थे। जिसकी याद में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।
15 नवंबर को अंन्नकूट पूजा तथा गोवर्धन पूजा है। यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन गोवंश की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देवता के अहंकार को समाप्त किया था।
पं अनिल कुमार पाण्डेय