राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता भारतीय फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक और निर्माता मधुर भंडारकर ने आज कला अकादमी गोवा में 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) के हिस्से के रूप में एक आकर्षक ‘इन कन्वर्सेशन’ सत्र का आयोजन किया। फिल्म समीक्षक और विश्लेषक, तरण आदर्श के साथ एक दिलचस्प बातचीत में, समीक्षकों द्वारा प्रशंसित निर्देशक ने सिनेमा की कला, फिल्म निर्माण की बारीकियों और कहानी कहने को आकार देने वाली चुनौतियों व प्रेरणाओं पर व्यावहारिक सिनेमाई विचार विमर्श-प्रस्तुत किया।
अपनी विशिष्ट फिल्मों के लिए प्रसिद्ध मधुर भंडारकर ने प्रामाणिक कहानी कहने के सार और सिनेमाई निर्माण की पेचीदगियों पर प्रकाश डालते हुए, अनेक अवधारणात्मक अंतर्दृष्टि साझा की। उनके संवाद के केंद्र में यथार्थवाद और सिनेमा के बीच तालमेल पर जोर दिया गया। मधुर भंडारकर ने कहा, “एक फिल्म एक विचार से उत्पन्न होती है। सिनेमाई परिदृश्य में यथार्थवादी सिनेमा का महत्वपूर्ण स्थान है। यथार्थवादी फिल्मों में कलात्मक और व्यावसायिक रूप से प्रभावशाली होने के द्वंद्व को पार करते हुए, दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ने की शक्ति होती है।”
फिल्म निर्माण में अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, मधुर भंडारकर ने इसे अपने शिल्प की आधारशिला के रूप में चिन्हित किया। उन्होंने जोर देकर कहा, “अनुसंधान फिल्म निर्माण की यूएसपी है। यह वह आधार है जो कहानी कहने की कला को समृद्ध करता है, कहानी को गहराई और प्रामाणिकता देता है।”
फिल्म निर्माताओं के सामने आने वाली चुनौतियों, विशेष रूप से वित्त और रचनात्मक स्वतंत्रता से संबंधित चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए, मधुर भंडारकर ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया, “बॉक्स ऑफिस की सफलता के लिए कोई सिद्धांत नहीं है। वित्त और कंटेंट की स्वतंत्रता विकट चुनौतियां खड़ी करती हैं। हालांकि, महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं को दृढ़ विश्वास के साथ बने रहना चाहिए।”
फिल्म निर्माण की जीवंत प्रकृति पर जोर देते हुए, मधुर भंडारकर ने इस धारणा का समर्थन किया कि विफलता रचनात्मक प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा, “फिल्म निर्माण एक ऐसी जीवंत यात्रा है जहां असफलता सफलता की ओर कदम बढ़ाने के लिए आधार तैयार करती है। बेहतर कंटेंट तैयार करने में यह अपरिहार्य है।”
नवोदित फिल्म निर्माताओं को अमूल्य सलाह देते हुए, मधुर भंडारकर ने दृढ़ विश्वास और आत्म-विश्वास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सलाह दी, “फिल्म निर्माण में रचनात्मक संतुष्टि अटूट विश्वास की मांग करती है। यह आसान रास्ता नहीं है, लेकिन स्क्रिप्ट और खुद पर विश्वास करना सर्वोपरि है।”
प्रशंसित निर्देशक ने अपनी प्रेरणा के स्रोत के बारे में बताते हुए कहा, “मुझे अपनी फिल्मों के लिए समाज से प्रेरणा मिलती है। समाज की नब्ज को समझने की वजह से उन कहानियों को बढ़ावा मिलता है जिन्हें मैं स्क्रीन पर लाता हूं।”
अंत में मधुर भंडारकर ने प्रभावशाली सिनेमा के निर्माण में आकर्षक पटकथा की अपरिहार्य भूमिका पर जोर दिया। सिनेमाई प्रतिभा के सार को समाहित करते हुए उन्होंने पुष्टि की, “एक आकर्षक पटकथा एक अच्छी फिल्म की जान है।”