केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने आज नई दिल्ली में ईएसआईसी मुख्यालय में ईएसआई निगम की 191वीं बैठक के दौरान देश भर के 30 ईएसआईसी अस्पतालों में कीमोथेरेपी सेवाओं का शुभारंभ किया। इस अवसर पर भूपेन्द्र यादव ने कहा कि यह शुभारंभ भारत के अमृतकाल में हमारे श्रम योगियों के सर्वांगीण कल्याण के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है। इन अस्पतालों में कीमोथेरेपी सेवाओं की शुरुआत के साथ, बीमित श्रमिकों और उनके आश्रितों को कैंसर का आसानी से बेहतर उपचार मिल सकेगा।
केंद्रीय मंत्री ने भी ईएसआईसी के डैशबोर्ड के साथ एक नियंत्रण कक्ष का भी उद्घाटन किया। डैशबोर्ड ईएसआईसी अस्पतालों में संसाधनों और बिस्तरों की बेहतर निगरानी करेगा और वर्तमान निर्माण परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति पर नजर रखना सुनिश्चित करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईएसआई निगम ने ईएसआईसी अस्पतालों में कुशल चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए ईएसआईसी चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अपना काम आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि आवश्यकता का आकलन करने के बाद नए ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब तक 8 मेडिकल कॉलेज, 2 डेंटल कॉलेज, 2 नर्सिंग कॉलेज और एक पैरा-मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं और ईएसआईसी द्वारा चलाए जा रहे हैं।
बैठक में वर्तमान निर्माण परियोजनाओं की समीक्षा के साथ-साथ चिकित्सा देखभाल सेवाओं, प्रशासन, वित्तीय मामलों में सुधार से संबंधित विभिन्न कायों पर विचार-विमर्श किया गया और उन पर फैसला लिया गया। बैठक में 15 नए ईएसआई अस्पताल, 78 ईएसआई डिस्पेंसरियां स्थापित करने, ईएसआईसी अस्पताल, बेलटोला, असम, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, केके नगर, चेन्नई, तमिलनाडु और ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, फरीदाबाद, हरियाणा में बिस्तरों की संख्या में वृद्धि करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी गई।
केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान सिटीजन चार्टर, ईएसआईसी की लेखा परीक्षा एवं लेखा नियमावली, रेफरल नीति एवं उपकरण नीति का विमोचन किया। भूपेन्द्र यादव ने राजस्थान, केरल और बेंगलुरु के ईएसआईसी कार्यालयों से आईजीओटी (कर्मयोगी भारत) लर्निंग प्लेटफॉर्म पर टॉप करने वाले ईएसआईसी के 5 आईजीओटी शिक्षार्थियों को भी सम्मानित किया। मंच का उद्देश्य सिविल सेवाओं के बीच क्षमता विकास को बढ़ावा देना है।