Thursday, December 19, 2024
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सरकारी विभाग मान्य नहीं करते बिजली कंपनियों के अनुभव प्रमाणपत्र, फोरम ने ऊर्जा मंत्री को लिखा पत्र

सरकारी विभाग ही मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों के अनुभव प्रमाणपत्र मान्य नहीं करते, जिसके बाद यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर मध्य प्रदेश के अध्यक्ष व्हीकेएस परिहार ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मप्र शासन के पूर्ण स्वामित्व की विभिन्न विद्युत कंपनियों में संविदा कर्मी के पद पर लगभग 10 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत हैं।

व्हीकेएस परिहार ने कहा कि ये फोरम के संज्ञान में आया है कि कुछ संविदा कर्मियों का चयन कौशल विकास संचालनालय के अंतर्गत आईटीआई प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर मप्र शासन की संविदा नीति 5 जून 2018 के अंतर्गत 20% संविदा आरक्षण के तहत हुआ है, परन्तु दस्तावेज सत्यापन के दौरान मप्र विद्युत संविदाकर्मी का 5 वर्ष का संविदा अनुभव प्रमाणपत्र मान्य करने से मना कर दिया गया है।

तत्संबंध की फाइल कार्यालय अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग में कई महीनों से लंबित है। चयनित अभ्यार्थियों द्वारा लगातार तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग तथा सामान्य प्रशासन विभाग को कंपनी के स्वामित्व के विषय में कई बार अवगत कराया जा चुका है, कि विद्युत कंपनियां मप्र शासन के पूर्ण स्वामित्व की कंपनियां है तथा ऊर्जा विभाग अंतर्गत आती है। परन्तु 30 जून 23 को मुख्यमंत्री निवास पर कौशल विकास संचालनालय अंतर्गत आईटीआई प्रशिक्षण अधिकारी को नियुक्ति पत्र देने के समय विद्युत कंपनियों के संविदाकर्मियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिये गये तथा आज दिनांक तक भी नियुक्ति पत्र देने संबंधी कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिससे की चयनित अभ्यार्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।

इस संबंध में मुख्य तथ्य निम्नानुसार है

> कर्मचारी चयन मण्डल के आईटीआई प्रशिक्षण अधिकारी पद पर भर्ती आवेदन पत्र में केवल “क्या आप संविदाकर्मी के अनुसार सीट एवं आयु में आरक्षण लेना चाहते हैं’ इस संबंध में पूछा गया है।

> समूह-3 उपयंत्री (Sub Engineer) भर्ती परीक्षा 2022 में 30 जून 23 को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत विद्युत कंपनियों के चयनित अभ्यार्थियों को मुख्यमंत्री निवास पर नियुक्ति पत्र प्रदान किये जा चुके हैं।

> मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी पत्र क. 09/01.02.2013 में भारतीय दंड विधान की धारा 21 अनुसार विद्युत कंपनियां सरकारी कंपनियां हैं तथा उनमें कार्यरत अधिकारी/कर्मचारी लोक सेवक है।

व्हीकेएस परिहार ने मांग की है कि मप्र शासन की विभिन्न विद्युत कंपनियों के संविदाकर्मियों को मप्र शासन अंतर्गत अन्य विभागों की तरह विद्युत कंपनियों के अनुभव प्रमाणपत्र मान्य करने के लिए कौशल विकास संचालनालय के संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित करने करें।

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