कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, पूर्वोत्तर क्षेत्र और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की यात्रा करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) सुविधा के प्रावधानों में छूट देते हुए आदेश जारी किये हैं।
केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह छूट 25 सितंबर 2022 तक बढ़ा दी गई है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस परिपत्र के परिणामस्वरूप एक पात्र सरकारी अधिकारी गृहनगर की एक एलटीसी के बदले जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वोत्तर क्षेत्र, लद्दाख और अंडमान एवं निकोबार जाने के लिए एलटीसी का लाभ उठा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा इस सुविधा की पात्रता नहीं रखने वाले सरकारी कर्मचारियों को जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वोत्तर क्षेत्र, लद्दाख और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह जाने के लिए हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध होगी। एक और सुविधा के रूप में, निजी एयरलाइंस द्वारा इन क्षेत्रों की यात्रा की अनुमति भी दी जा रही है। जबकि, एक सरकारी कर्मचारी से आम तौर पर राज्य के स्वामित्व वाली एयर इंडिया से यात्रा करने की अपेक्षा की जाती है।
यहां उल्लेख करना जरूरी है कि केंद्रीय सिविल सेवा (एलटीसी) नियम 1988 में दी गई इस छूट के तहत, सरकारी सेवकों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, पूर्वोत्तर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की यात्रा करने की अनुमति देने वाली इस योजना को दो साल के लिए 25 सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने इसे सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बहुत बड़ी और विशेष सुविधा बताते हुए कहा कि सभी पात्र सरकारी कर्मचारी चार साल के एक ब्लॉक में जम्मू एवं कश्मीर या पूर्वोत्तर क्षेत्र या इनमें से किसी भी एक क्षेत्र में जाने के लिए इस एलटीसी का लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि वैसे सरकारी कर्मचारी, जिनके गृहनगर और पोस्टिंग के स्थान समान हैं, को इस रूपांतरण की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वैसे सरकारी कर्मचारी जो अन्यथा हवाई यात्रा करने के पात्र नहीं हैं, उन्हें भी इस योजना के मानदंडों के तहत किसी भी एयरलाइंस द्वारा इकोनॉमी क्लास में एलटीसी-80 स्कीम की अधिकतम किराया सीमा के अधीन हवाई यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब से मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता संभाली है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह निर्देश रहा है कि दूर-दराज और दुर्गम इलाकों को प्राथमिकता दी जाए और इन इलाकों में जीवन जीने तथा शासन में आसानी के लिए हरसंभव प्रयास किये जायें।