हरतालिका तीज अथवा तीजा हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाओं द्वारा निर्जला रहकर हरतालिका व्रत किया जाता है। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए इस दिन विधिपूर्वक व्रत धारण कर निर्जला उपवास करती हैं।
इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निराहार और निर्जला व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज को सनातन संस्कृति में सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह व्रत अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष हरतालिका व्रत गुरुवार 9 सितंबर को मनाया जाएगा। हरितालिका तीज गुरुवार 9 सितंबर को तड़के 2:33 बजे से आधी रात 12:18 बजे तक तृतीया तिथि रहेगी। पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:03 बजे से रात 8:33 तक रहेगा। प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 6:33 बजे से रात 8:51 तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल पड़ने वाली हरतालिका तीज के पर्व पर करीब 14 साल बाद रवियोग बन रहा है। यह दुर्लभ शुभ संयोग चित्रा नक्षत्र के कारण बनता है। इस योग में पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है। रवियोग का शुभ समय गुरुवार 9 सितंबर की दोपहर 2:30 बजे से शुरु होकर शुक्रवार 10 सितंबर की शाम 5:16 बजे तक रहेगा।
हरतालिका व्रत करने वाली स्त्रियां इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ ही भगवान गणेश का पूजन करती हैं। इस दिन पूजा घर को फूलों से सजाएं। एक चौकी पर केले के पत्ते रखकर शिवजी, पार्वती और गणेश की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। देवी-देवताओं का आह्वान करें। विधिवत पूजन करें। सुहाग की वस्तुएं देवी माँ को चढ़ाएं। पूजा करें। इसके बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।