जयपुर (हि.स.)। पिछले एक साल से कार्य करने के बावजूद कॉलेज के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं करने पर राजस्थान हाइकोर्ट ने नाराजगी जताई है। अदालत ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव को कहा है कि वे 4 अप्रैल को व्यक्तिगत या वीसी के जरिए पेश होकर बताएं कि कर्मचारियों का वेतन क्यों रोका गया है।
वहीं अदालत ने निर्देश दिए हैं कि यदि किसी याचिकाकर्ता का 2 माह की अवधि से अधिक का वेतन बकाया चल रहा है तो प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव का भी आगामी वेतन रोका जाए। जस्टिस गणेश राम मीणा की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ संजय कुमार यादव व अन्य की याचिका पर दिए।
याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता भिवाडी के बाबा मोहन राम किशान पीजी कॉलेज में कार्यरत हैं। राज्य सरकार ने 3 मार्च, 2021 को इस कॉलेज को राज्याधीन कर लिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं की सेवा को नियमित नहीं किया गया। इस कारण हाइकोर्ट में याचिका पेश की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने 24 अप्रैल, 2023 को अंतरिम आदेश देते हुए याचिकाकर्ताओं को हटाने पर रोक लगा दी थी।
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता कॉलेज में काम कर रहे हैं, लेकिन बीते एक साल से उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है और राज्य सरकार की ओर से हाइकोर्ट में अपना जवाब भी पेश नहीं किया जा रहा है। वेतन के अभाव में याचिकाकर्ताओं की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव को पेश होकर वेतन रोकने का कारण बताने को कहा है। इसके साथ ही 2 माह से अधिक का वेतन बकाया होने पर प्रमुख सचिव का आगामी वेतन रोकने को कहा है।