देश में कोरोना वायरस से उपजे संकट से मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज इस पैकेज में पीएफ और टैक्स को लेकर कई बदलाव की घोषणा की है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणा के अनुसार 15 हजार रुपये तक की सैलरी वालों का पीएफ सरकार भरेगी। अगस्त तक कंपनी और कर्मचारियों की तरफ से 12 प्रतिशत, 12 प्रतिशत की रकम ईपीएफओ में अपनी तरफ से जमा करेगी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ईपीएफ में भी रिलीफ दिया जा रहा है इसके सपोर्ट के लिए 2500 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं. भारत सरकार कंपनी और कर्मचारी दोनों की तरफ से 12 प्रतिशत का योगदान करेगी. इस सहयोग को मार्च-मई 2020 से बढ़ाकर जून-अगस्त 2020 तक कर दिया गया है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सभी आयकर रिटर्न की समय सीमा 31 जुलाई 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गई है. इसके साथ ही टैक्स आडिट की समय सीमा भी 30 सितंबर 2020 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2020 कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि करदाताओं को 31 मार्च 2021 तक टीडीएस कटौती में 25 फीसदी की राहत दी जाएगी। यह इंटरनेट, रेंट, ब्रोकरेज सहित सभी पेमेंट पर लागू होगा। यह 14 मई से लागू होगा और 31 मार्च 2021 तक चलेगा। इससे लोगों के हाथ में 50,000 करोड़ रुपये आएंगे। उदाहरण के तौर पर अगर किसी का 100 रुपये का टीडीएस-टीसीएस बनता है तो उसे 75 रुपये ही देने होंगे।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी घोषणा की है कि यह निर्णय 14 मई से ही लागू हो जाएगा।वकॉन्ट्रैक्ट, प्रोफेशनल फीस, ब्याज, किराया, डिविडेंड, कमीशन, ब्रोकरेज आदि के लिए भुगतान घटी हुई टीडीएस रेट के दायरे में आएगा। इससे 50000 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी लोगों के हाथों में रहेगी।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने विवाद से विश्वास स्कीम की आखिरी तारीख भी बढ़ा दी है। वित्त मंत्री ने बताया कि विवाद से विश्वास स्कीम के तहत बिना ब्याज और पेनल्टी के 31 दिसंबर 2020 तक भुगतान कर सकते हैं। इस स्कीम की समय सीमा दूसरी दफा बढ़ाई गई है। इससे पहले सरकार ने मार्च में इसकी समय सीमा बढ़ाकर 30 जून 2020 की थी। बता दें, वित्त मंत्री ने बजट 2020 में विवाद से विश्वास स्कीम का ऐलान किया था। इसके तहत करदाताओं और टैक्स विभाग के बीच टैक्स विवादों का एकमुश्त निपटान का प्रावधान किया गया था। इसमें विवाद टैक्स रकम का भुगतान बिना पेनल्टी और ब्याज के करने की छूट थी।