प्रत्यक्ष विदेशी निवेश देश के आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक है। यह भारत के आर्थिक विकास के गैर-ऋण वित्तीयन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। सरकार का हमेशा से यह प्रयास रहा है कि वह एक सक्षम और निवेशकों के अनुकूल एफडीआई नीति लागू करे।
यह सब करने का मुख्य उद्देश्य एफडीआई नीति को निवेशकों के और अधिक अनुकूल बनाना तथा देश में निवेश के प्रवाह में बाधा डालने वाली नीतिगत अड़चनों को दूर करना है। पिछले छह वर्षों के दौरान इस दिशा में उठाए गए कदमों के परिणाम देश में एफडीआई के प्रवाह की बढ़ती मात्रा से स्पष्ट हैं।
एफडीआई के उदारीकरण और सरलीकरण के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए, सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई से संबंधित सुधार किए हैं।
एफडीआई में नीतिगत सुधारों, निवेश सुगमता और व्यापार करने में आसानी के मोर्चों पर सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों की वजह से देश में एफडीआई का प्रवाह बढ़ा है।
देश में अप्रैल से अगस्त 2020 के दौरान 35.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल एफडीआई प्राप्त हुआ है। यह किसी वित्तीय वर्ष के पहले 5 महीनों में सबसे अधिक है और 2019-20 के पहले पांच महीनों 31.60 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।
वित्तीय वर्ष 2020–21 के अप्रैल से अगस्त के दौरान प्राप्त एफडीआई इक्विटी प्रवाह 27.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह भी किसी वित्तीय वर्ष के पहले 5 महीनों के लिए अधिकतम है और 2019-20 के पहले पांच महीनों 23.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक है।