इस समय देश में अंतरिक्ष पर्यटन को नियंत्रित करने वाले कोई कानून नहीं हैं और अंतरिक्ष पर्यटन के लिए विशिष्ट कानून बनाने की किसी प्रकार की योजना नहीं है। हालांकि ‘गगनयान’ मिशन के एक हिस्से के रूप में भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों और चालक दल के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित कर रहा है।
राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संस्थान (आईएसआरओ– इसरो) वर्तमान में मानव मूल्यांकित (रेटेड) प्रक्षेपण (लॉन्च) वाहन, कक्षीय (ऑर्बिटल मॉड्यूल), जीवन रक्षक सहायता प्रणाली (लाइफ सपोर्ट सिस्टम), चालक दल बचाव प्रणाली (क्रू एस्केप सिस्टम), मानव केंद्रित उत्पाद और गगनयान मिशन हेतु चालक दल (क्रू) रिकवरी के लिए तकनीक विकसित कर रहा है।
उन्होंने बताया कि ये सभी प्रौद्योगिकियां भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए आधार (बिल्डिंग ब्लॉक्स) के रूप में काम करेंगी।
वैश्विक ग्राहकों को उपग्रह सेवाएं प्रदान करने वाले निजी स्टार्ट-अप से संबंधित एक अन्य प्रश्न में, डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि उपग्रह डेटा के माध्यम से उपग्रह सेवाओं यानी मूल्य वर्धित सेवाओं को उपलब्ध कराने के क्षेत्र में लगभग 15 स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र भारतीय स्टार्ट-अप की क्षमता मैट्रिक्स के निर्माण के लिए एक सर्वेक्षण कर रहा है, जो अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी गतिविधियों के लिए निश्चित डेटाबेस के रूप में काम करेगा।
वर्ष 2020 में सरकार द्वारा घोषित अंतरिक्ष सुधारों के आलोक में अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरू से अंत तक गतिविधियों को मूर्त रूप देने में गैर-सरकारी संस्थाओं की अधिक भागीदारी की परिकल्पना की गई है। इन सुधारों के अंतर्गत, सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की प्रगति के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी पर विचार कर सकती है।