केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) के संचालक मंडल (बोर्ड ऑफ गवर्नर्स) की 7वीं वार्षिक बैठक में भाग लिया। हर साल वार्षिक बैठक में एआईआईबी से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों और इसके भावी विजन पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए इसके संचालक मंडल की बैठक होती है। भारत एआईआईबी का एक संस्थापक सदस्य और इसमें दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है। एआईआईबी में भारत के पास सबसे बड़ा परियोजना पोर्टफोलियो भी है। इस वर्ष की वार्षिक बैठक की थीम ‘आपस में जुड़ी हुई दुनिया की ओर सतत अवसंरचना’ थी।
वित्त मंत्री ने ‘संकटग्रस्त दुनिया में अवसंरचना का वित्तपोषण करना’ विषय पर गवर्नर की गोलमेज चर्चा के दौरान अपने विचार साझा किए। अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने सदस्य देशों की सहायता करने और उच्च गुणवत्ता वाला विकास वित्त प्रदान करने के लिए एआईआईबी की निरंतर प्रतिबद्धता एवं समर्पण की सराहना की। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बाह्य खतरों के बावजूद भारत की बेहतरीन लक्षित नीतियों, प्रमुख ढांचागत सुधारों और सुदृढ़ बाह्य बैलेंस शीट से भारत में आर्थिक विकास की गति को निरंतर मजबूत बनाए रखने में काफी सहायता मिली है। वित्त मंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि भारत एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की राह पर चल पड़ा है और इसलिए वह महामारी के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सफल रहा है।
श्रीमती सीतारमण ने भारत के डिजिटलीकरण मिशन के माध्यम से भारत द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया जिसके तहत सामाजिक सुरक्षा को सुविधाजनक बनाने और वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। वित्त मंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (या लाइफ)’ जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे अथक प्रयासों का सक्रिय रूप से नेतृत्व कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने सुझाव दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि इन सभी के सार्थक प्रभाव हों और संसाधन कई क्षेत्रों में न बिखर जाएं, एआईआईबी को प्राथमिकता वाले प्रमुख क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है जिनमें शिक्षा व स्वास्थ्य, और डिजिटल अवसंरचना पर विशेष रूप से फोकस करने के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षता, आपदा रोधी अवसंरचना, और सामाजिक अवसंरचना शामिल हैं।
चूंकि अकेले सार्वजनिक संसाधन ही सदस्य देशों की विशाल अवसंरचना संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं, इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने सलाह दी कि बैंक को न केवल निजी क्षेत्र के विविध संसाधनों को जुटाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभानी चाहिए, बल्कि अपने स्वयं के संसाधनों को बढ़ाने के लिए विभिन्न व्यवस्थाओं का भी पता लगाना चाहिए जिनमें एमडीबी की पूंजी पर्याप्तता रूपरेखा (सीएएफ) पर जी20 के विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट की सिफारिशों पर शीघ्र अमल करना भी शामिल है।
इसके अलावा वित्त मंत्री ने कहा कि अपनी वित्तीय सहायता से परे एआईआईबी को अपनी मिड-स्ट्रीम और अपस्ट्रीम सहभागिता गतिविधियों के दायरे का विस्तार करने की दिशा में काम करना चाहिए जिनमें अपनी रणनीतियों को निवेश योजनाओं में तब्दील करने में मदद करने के लिए ग्राहकों को ज्यादा तकनीकी सहायता देना भी शामिल है। आखिर में श्रीमती सीतारमण ने सुझाव दिया कि बैंक को सदस्य देशों में पूर्णकालिक देश कार्यालय खोलने चाहिए।