राज्यसभा में कृषि कानूनों पर बहस के दौरान बोलते हुये केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानून में काला क्या है यो कोई नहीं बता रहा है, कोई बताए तब तो इसे ठीक करने की कोशिश करूं।
उन्होंने कहा कि मैं किसान यूनियन से दो महीने से यही पूछता रहा कि इस कानून में काला क्या है, कोई मुझे बताए तो में ठीक करने की कोशिश करूंगा, लेकिन मुझे किसानों के साथ मीटिंग में भी नहीं मालूम पड़ा।
कृषि मंत्री ने कहा कि वहीं प्रतिपक्ष के सदस्यों ने कहा कि कानून खराब है, यह किसी ने नहीं बताया कि कानून किसान के प्रतिकूल है। उन्होंने कहा कि कोई बताए कि कमियां कहां और क्या हैं, सरकार संशोधन के लिए तैयार है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है कि अगर इन कानूनों को लागू किया गया तो अन्य लोग उनकी जमीन पर कब्जा कर लेंगे। मुझे बताएं कि क्या कृषि कानून में एक भी प्रावधान है जो किसी भी व्यापारी को किसी भी किसान की जमीन छीनने की अनुमति देता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा ध्यान किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है। किसने सोचा होगा कि फलों और सब्जियों को रेल द्वारा ले जाया जाएगा? 100 किसान रेल, जो एक तरह से मोबाइल कोल्ड स्टोरेज हैं, शुरू की गई हैं। वे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में मदद कर रहे हैं।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि हम लोगों ने ट्रेड एक्ट बनाया, उस एक्ट में यह प्रावधान किया कि एपीएमसी के बाहर जो एरिया होगा वह ट्रेड एरिया होगा। वह किसान का घर, वेयरहाउस या खेत भी हो सकता है और कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान के लिए, किसान वहां से अपने उत्पादन को बेचने के लिए स्वतंत्र है, यह कानून अनुमति देगा।
एपीएमसी के बाहर अगर कोई ट्रेड होगा तो उस पर न तो केंद्र और न ही राज्य का टैक्स लगेगा। एपीएमसी के अंदर टैक्स लगता है, राज्य सरकार का टैक्स लागू होता है। एपीएमसी के बाहर केंद्र का कानून टैक्स से बचाता है और एपीएमसी के अंदर राज्य का कानून टैक्स लगा रहा है। टैक्स हटाने वाले के खिलाफ प्रदर्शन होना चाहिए या टैक्स लगाने वालों के खिलाफ?
उन्होंने राज्यसभा में कहा कि कृषि कानूनों को लेकर विरोध केवल एक राज्य तक ही सीमित है और किसानों को उकसाया जा रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि विपक्षी दल तीनों नए कृषि कानूनों में एक भी खामी बताने में नाकाम रहे।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि भारत सरकार कानूनों में किसी भी संशोधन के लिए तैयार है, इसका अर्थ ये नहीं कि कृषि कानूनों में कोई खामी है। पूरे एक राज्य में लोग गलतफहमी का शिकार हैं। किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि नये कानून के तहत उनकी जमीन छीन ली जायेगी।