भारत द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के संगठन जी20 की अध्यक्षता संभालने बाद, भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ग्लोबल पार्टनरशिप (GPAI) की अध्यक्षता करेगा, जो जिम्मेदार और मानव-केंद्रित विकास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग का समर्थन करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय पहल है। एआई टेक लैंडस्केप को बड़ा और मजबूत बना रहा है और मानवीय संभावनाओं के दायरे को आगे बढ़ा रहा है। एआई से 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 967 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2025 तक भारत की जीडीपी में 450-500 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ने की उम्मीद है, जो देश के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जीडीपी लक्ष्य का 10 प्रतिशत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत के प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम के विकास के लिए एक काइनेटिक इनेबलर है और 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक अहम कारक है।
जीपीएआई अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर सहित 25 सदस्य देशों का एक समूह है। भारत 2020 में एक संस्थापक सदस्य के रूप में समूह में शामिल हुआ था।इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर फ्रांस से प्रतीकात्मक रूप से अधिग्रहण के लिए 21 नवंबर, 2022 को टोक्यो में होने वाली जीपीएआई की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, जो वर्तमान में परिषद अध्यक्ष है।
परिषद की अध्यक्षता के लिए चयन प्रक्रिया में, भारत को प्रथम वरीयता के मतों के दो-तिहाई से अधिक मत प्राप्त हुए। जबकि कनाडा और अमेरिका को इससे कम वोट मिले। इसलिए, इन दोनों देशों को परिषद की संचालन समिति की सीटों पर नियुक्त किया गया। 2022-2023 संचालन समिति के लिए, पांच सीटें जापान (लीड काउंसिल चेयर और संचालन समिति के सह-अध्यक्ष के रूप में), फ्रांस (आउटगोइंग काउंसिल चेयर), भारत (इनकमिंग काउंसिल चेयर), कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास रहेंगी।
भारत को अध्यक्षता मिलना इस बात को दर्शाता है कि आज दुनिया भारत को एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में देखती है। भारत ने हमेशा नागरिकों के जीवन को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग की वकालत की है। जीपीआईए भाग लेने वाले देशों के अनुभव और विविधता का उपयोग करके एआई की चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने के लिए अपनी तरह की प्रथम पहल है। यह आपसी सहयोग उन्नत अनुसंधान और लागू गतिविधियों का समर्थन करके एआई से संबंधित प्राथमिकताओं में सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटने की कोशिश करेगा।
यह भागीदारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षा जगत के प्रमुख विशेषज्ञों के सहयोग से एआई के जिम्मेदार विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करता है और मानव अधिकारों, समावेश, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास पर आधारित एआई के जिम्मेदार विकास और उपयोग के लिए मार्गदर्शन करता है।