भारतीय सेना ने आज अपना 73वां सेना दिवस मनाया। भारतीय सेना हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाती है। वर्ष 1949 में आज ही के दिन जनरल के.एम. करियप्पा (बाद में फील्ड मार्शल) ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर एफ.आर.आर. बुचर से सेना की कमान संभाली थी। वे स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने थे।
समारोह की शुरुआत राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण के साथ हुई जहां सीडीएस जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
दिल्ली कैंट में आयोजित सेना दिवस परेड के दौरान भारतीय सेना ने अपने 75 स्वदेशी डिजाइन से विकसित ड्रोन्स का उपयोग करते हुए इनकी हवा में उड़ने की क्षमता का लाइव प्रदर्शन किया। आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस तकनीक से इन ड्रोन्स को नमूने के तौर पर तैयार किया गया, दुश्मन के कृत्रिम मिशन और ठिकानों तक पहुंचाया गया, जिसकी तमाम जानकारियां इनके जरिए एकत्र हुईं।
इस प्रदर्शन के पीछे भारतीय सेना का मकसद भविष्य के लिए अपनी सेना को नई प्रौद्योगिकी से लैस करना है ताकि सुरक्षा संबधी किसी भी बड़ी चुनौती का सामना कुशलता से किया जा सके।
भारतीय सेना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोनॉमस वेपन सिस्टम, क्वांटम टेक्नोलॉजीज, रोबोटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और अल्गोरिदम वॉरफेयर जैसी नवीन और प्रभावी प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल पर भारी निवेश कर रही है ताकि सेना अपने युद्ध संबंधी दर्शन और इन विशेषताओं वाली तकनीकों के इस्तेमाल में आपसी सामंजस्य बिठा सके।
भारतीय सेना ने ड्रीमर्स, स्टार्टअप्स, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, निजी क्षेत्र, शैक्षणिक समुदाय, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और रक्षा मंत्रालय के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी से जुड़ी पहलों की एक लंबी श्रृंखला शुरू की है। ऐसी ही एक परियोजना है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑफेंसिव ड्रोन ऑपरेशंस, जिसे एक भारतीय स्टार्ट-अप के साथ मिलकर चलाया जा रहा है।
यह परियोजना भारत को हथियारों के लिए अपने प्लेटफॉर्म तैयार करने में स्वायत्त बनाने की एक कोशिश का हिस्सा है। ये पहल भारतीय सेना के इसी प्रयास की शुरुआत का प्रतीक है जो अपने मानव संसाधन को साथ लेकर दुनिया की नवीनतम डिजिटल प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के लिए प्रतिबद्ध है।