केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने लोन मोरेटोरियम से जुड़े ब्याज पर दी जाने वाली छूट को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिये है। देश में कोरोना वायरस से उपजे संकट के चलते अनलॉक-1 और अनलॉक-2 के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्जधारकों को ईएमआई चुकाने की मोहलत देने की घोषणा की थी।
इस घोषणा के तहत आरबीआई ने कर्जधारकों को मार्च से अगस्त तक की ईएमआई चुकाने में राहत देते हुये लोन मोरेटोरियम की सुविधा प्रदान की थी। हालांकि इस दौरान ब्याज पर छूट नहीं दी गई थी, जिसके चलते वित्तीस संस्थानों ने ब्याज पर ब्याज भी वसूलना शुरू कर दिया था।
जिसे लेकर पीडि़तों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर छह महीने की अवधि के दौरान संचयी ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर के बराबर राशि का भुगतान सरकार करेगी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आरबीआई की तरफ से कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत के तहत 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज छूट योजना को जल्द-से-जल्द लागू करने का निर्देश दिया था. उसके बाद सरकार ने दिशानिर्देश जारी किये हैं।
वित्तीय सेवा विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार कर्जदार संबंधित ऋण खाते पर योजना का लाभ ले सकते हैं। यह लाभ 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त, 2020 की अवधि के लिये है। इसके अनुसार जिन कर्जदारों के ऊपर 29 फरवरी तक कुल ऋण 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है, वे योजना का लाभ उठाने के लिये पात्र होंगे.
इस योजना के तहत आवास ऋण, शिक्षा ऋण, क्रेडिट कार्ड बकाया, वाहन कर्ज, एमएसएमई, टिकाऊ उपभोक्ता सामन के लिये लिया गया कजज़् और खपत के लिये लिया ऋण आएगा।
दिशानिर्देंश के अनुसार बैंक और वित्तीय संस्थान पात्र कर्जदारों के लोन खाते में मोहलत अवधि के दौरान ब्याज के ऊपर ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर की राशि डालेंगे। यह उन सभी पात्र कर्जदाताओं के लिये है, जिन्होंने आरबीआई द्वारा 27 मार्च 2020 को घोषित योजना के तहत पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कर्ज लैटाने को लेकर दी गयी छूट का लाभ उठाया है।
वित्तीय संस्थान संबंधित कर्जदार के खाते में रकम डालकर उसके भुगतान के लिये केंद्र सरकार से दावा करेंगे। जानकारों के अनुसार इस योजना से सरकारी खजाने पर 6,500 करोड़ रुपये का भार आयेगा।